जोरी कीयाँ जुलम है माँगे न्याव खुदाइ मीनिंग

जोरी कीयाँ जुलम है माँगे न्याव खुदाइ मीनिंग

जोरी कीयाँ जुलम है, माँगे न्याव खुदाइ।
खालिक दरि खूनी खड़ा, मार मुहे मुहि खाइ॥
Jori Kiya Julam Hai, Mange Nyaav Khudaai,
Khaalik Dari Khuni Khada, Maar Mujhe Muhi Khaai.

जोरी कीयाँ जुलम है : जोर करना, बलपूर्वक करना.
माँगे न्याव खुदाइ : खुदा न्याय मांगता है.
खालिक दरि खूनी खड़ा : इश्वर के दरबार में खुनी/हत्यारा खड़ा है.
मार मुहे मुहि खाइ : वह मुंह की खाता है.
जोरी : जोर जबरदस्ती.
कीयाँ : किया है.
जुलम है : जुल्म किया है, अत्याचार किया है.
माँगे : मांगता है.
न्याव : न्याय.
खुदाइ : इश्वर.
खालिक : न्याय करने वाला, खुदा, इश्वर.
कबीर साहेब की वाणी है की जीव स्वंय का कभी भी विश्लेषन नहीं करता है. वह चोरी और अन्याय करता है. बलपूर्वक पशुओं का वध करता है. लेकिन एक रोज उसके कर्मों का हिसाब किया जाना है. जब जीव जो की एक हत्यारा है, पशुओं का वध करता है तो वह जब मालिक के दरबार खड़ा होता है तो उसके कर्मों का हिसाब होना होता है क्योंकि इश्वर न्याय मांगता है. भाव है की इश्वर के समक्ष हमें अपने कर्मों का लेखा जोखा देना होगा, अतः हमें अपने कर्मों को धर्म के ही अनुकूल रखना चाहिए. कर्मों का हिसाब एक रोज इश्वर के दरबार में होता है, यह संसार कर्म प्रधान है.
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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