मैंवासा मोई किया दुरिजिन काढ़े दूरि मीनिंग Maivasa Moyi Kiya Meaning, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )
मैंवासा मोई किया, दुरिजिन काढ़े दूरि।राज पियारे राँम का, नगर बस्या भरिपूरि॥
Maivasa Moi Kiya, Durjini Kadhe Doori,
Raj Piyare Ram Ka, Nagar Basya Bharipuri.
Maivasa Moi Kiya, Durjini Kadhe Doori,
Raj Piyare Ram Ka, Nagar Basya Bharipuri.
मैंवासा मोई किया : अहम् को नष्ट कर दिया है.
दुरिजिन काढ़े दूरि : दुर्भावना को दूर कर दिया है.
राज पियारे राँम का : प्यारे राम के राज में,
नगर बस्या भरिपूरि : नगर फल फूल रहा है.
मैंवासा : अहम्, अहंकार.
मोई : समाप्त करना.
दुरिजिन : दुर्भावना, मायाजनित विकार.
काढ़े : निकालकर.
दूरि : दूर कर दिया है.
राज : इश्वर का राज/सत्ता.
पियारे : प्रिय, प्यारे.
राँम का : इश्वर का.
नगर : शहर (भक्ति रूपी नगर)
बस्या बस गया है.
भरिपूरि : भरपूर मात्रा में, पूर्ण रूप से.
दुरिजिन काढ़े दूरि : दुर्भावना को दूर कर दिया है.
राज पियारे राँम का : प्यारे राम के राज में,
नगर बस्या भरिपूरि : नगर फल फूल रहा है.
मैंवासा : अहम्, अहंकार.
मोई : समाप्त करना.
दुरिजिन : दुर्भावना, मायाजनित विकार.
काढ़े : निकालकर.
दूरि : दूर कर दिया है.
राज : इश्वर का राज/सत्ता.
पियारे : प्रिय, प्यारे.
राँम का : इश्वर का.
नगर : शहर (भक्ति रूपी नगर)
बस्या बस गया है.
भरिपूरि : भरपूर मात्रा में, पूर्ण रूप से.
भक्ति के लिए कबीर साहेब साधक को सन्देश देते हैं की तुम अपने मन से अहंकार को दूर कर दिया है और दुर्भावनाओं को निकाल कर दूर कर फेंक दिया है. प्यारे राम का राज्य स्वतः ही परिपूर्ण रूप से तुम्हारे हृदय में बस जाएगा. प्रस्तुत साखी में रुप्कतिश्योक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है. अहंकार को दूर करने से ही संभव होती है. प्रियतम राम का राज्य स्थापित होने से आशय इस्वर की भक्ति का प्रसार है.