पष ले बूडी पृथमीं झूठी कुल की लार मीनिंग कबीर के दोहे

पष ले बूडी पृथमीं झूठी कुल की लार मीनिंग Pakh Le Budi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

पष ले बूडी पृथमीं, झूठी कुल की लार।
अलष बिसारौं भेष मैं, बूड़े काली धार॥

Pakh Le Budi Prathmi, Jhuthi Kul Ki Laar,
Alakh Bisaro Bhesh, Bude Kali Dhara.

पष ले बूडी पृथमीं : पक्ष लेकर यह प्रथ्वी, जगत.
झूठी कुल की लार : झूठे जगत के पीछे.
अलष बिसारौं भेष मैं : अलक्ष्य को बिसार दिया है. विभिन्न भेष धारण करके.
बूड़े काली धार : ऐसे लोग काल की धारा में डूब गए हैं.
पष ले : पक्ष लेकर.
बूडी : डूब गई है.
पृथमीं : पृथ्वी.
झूठी : मिथ्या.
लार : पीछे, अनुसरण करके.
अलष : अलक्ष्य को, इश्वर को.
बिसारौं : बिसार दिया है, भुला दिया है.
भेष मैं : विभिन्न तरह के भेष धारण करके.
बूड़े काली धार: डूब गए हैं.काल की धारा में.

यह जगत झूठे जगत की मिथ्या मान्यताओं का पक्ष लेकर, विभिन्न तरह की वेश भूषा को धारण करके वह पूर्ण परम ब्रह्म को विस्मृत कर देता है. जगत की मान्यताओं का अनुसरण करके जीवात्मा काल की धारा में डूब जाती है. 
अतः स्पष्ट है की व्यक्ति को लोक लिहाज, प्रचलित मान्याताओं को त्याग करके सच्ची भक्ति पर ध्यान देना चाहिए. किसी भी आडम्बर, दिखावे और कर्मकांड से भक्ति नहीं प्राप्त होने वाली है, भले ही किसी भी तरह के, किसी भी रंग के कपडे पहन लिए जाएं. व्यक्ति आसान राह का चयन करता है, क्योंकि मानसिक अनुशासन में उसे प्रयत्न करना पड़ता है जिससे वह बचना चाहता है. बात किसी तप या शारीरिक प्रयत्न की नहीं अपितु सारा मामला ही आंतरिक है. जो है वह अन्दर है बाहर कुछ भी नहीं है. यही बात कबीर साहेब ने अनेकों स्थान पर बताई है. मालिक तो चींटी के पाँव में बजने वाले नेवर का भी ध्यान रखता है, अतः जगत का अनुसरण व्यर्थ है.
 
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