राम-नाम-मनि-दीप धरु, जीह देहरी द्वार। तुलसी भीतर बाहिरौ, जौ चाहसि उजियार॥ राजीव लोचन राम, आज अपने घर आए, कण कण पुलकित, पुरजन हर्षित, नगर गाँव सब बजत बधाई, राजीव लोचन राम, आज अपने घर आये।
गावही किन्नर नाग बदूटी, बार बार कुसुमांजलि छूटी, हे जग पावन, मुनि मन भावन, अरु शोभा गुण बरनी ना जाये, राजीव लोचन राम, आज अपने घर आये।
सुन्दर शोभा श्री रघुवर की, झांकी बनी है कनक भवन की, सूचिसर सुन्दर, नित्य मगन जन, मचल मचल सब विधि गुण गाये, राजीव लोचन राम, आज अपने घर आये।
हर्षित जह तह दाई दासी, आनंद मगन सकल पुर वासी, लिए आरती मङ्गल आरती, कनक बसन उपथाल सुहाए, राजीव लोचन राम, आज अपने घर आये।
राजीव लोचन राम, आज अपने घर आए, कण कण पुलकित, पुरजन हर्षित, नगर गाँव सब बजत बधाई, राजीव लोचन राम, आज अपने घर आये।