साँईं सेती साँच चलि औराँ सूँ सुध भाइ मीनिंग कबीर के दोहे

साँईं सेती साँच चलि औराँ सूँ सुध भाइ मीनिंग Sai Seti Sanch Chali Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

साँईं सेती साँच चलि, औराँ सूँ सुध भाइ।
भावै लम्बे केस करि, भावै घुरड़ि मुड़ाइ॥
Sai Seti Sanch Chali, Aora Su Sudh Bhai,
Bhave Lambe Kesh Kari, Bhave Guradi Mudaai.

साँईं सेती साँच चलि : इश्वर के प्रति सच्चे रहो, सत्य पर चलो.
औराँ सूँ सुध भाइ : औरों से शुद्ध व्यवहार करो.
भावै लम्बे केस करि : भले ही लम्बे बाल कर लो.
भावै घुरड़ि मुड़ाइ : भले ही केश को मुंडा लो.
साँईं : इश्वर.
सेती : समेत.
साँच : सत्य.
चलि : चलकर.
औराँ : दुसरे.
सूँ : अन्य.
सुध भाइ : सुद्ध आचरण करो.
भावै : भले ही.
लम्बे केस : लम्बे बाल.
करि : कर लो, बढा लो.
भावै : भले ही.
घुरड़ि मुड़ाइ : घुरड कर मुंडा लो, मुंडा लो.

कबीर साहेब भक्ति में आडम्बर के प्रति वाणी देते हैं की कोई भले ही कितने ही आडम्बर रच ले भले ही लम्बे बाल बढा ले या काट कर रुंड मुंड हो जाए, पूर्ण रूप से बालों को कटवा ले,  इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है. बाल बढ़ाने से या कटवाने से भक्ति का कोई लाभ नहीं होने वाला है. कबीर साहेब की वाणी है की तुम दूसरों के प्रति शुद्ध आचरण करो, इश्वर के प्रति सच्चे रहो, यही भक्ति है.
भाव है की इश्वर की भक्ति में किसी आडम्बर या बाह्य आचरण का कोई फायदा नहीं होने वाला है. बाह्य आडम्बर तो सांकेतिक है, जिसका भक्ति मार्ग से कोई संबध नहीं है. हृदय से इश्वर के नाम का सुमिरन करना ही सच्ची भक्ति है.
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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