माला पहर्‌या कुछ नहीं भगति न आई हाथि मीनिंग Kabir Ke Dohe Hindi Meaning

माला पहर्‌या कुछ नहीं भगति न आई हाथि मीनिंग Kabir Ke Dohe Hindi Meaning, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

माला पहर्‌या कुछ नहीं, भगति न आई हाथि।
माथौ मूँछ मुँड़ाइ करि, चल्या जगत कै साथि॥
Mala Paharaya Kuch Nahi, Bhagati Na Aayi Hathi,
Matho Mooch Mudayi Kari, Chalya Jagat Ke Sathi.

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word Meaning (Hindi Shabdarth/Arth)

माला पहर्‌या कुछ नहीं : माला पहनने से कुछ भी प्राप्त नहीं होने वाला.
भगति न आई हाथि : भक्ति हाथ में नहीं लगने वाली.
माथौ मूँछ मुँड़ाइ करि : सर और मूंछ को कटवा कर, मुंडा कर.
चल्या जगत कै साथि : चल्या जगत के साथ.

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning (हिंदी अर्थ/भावार्थ)

बाह्य आडम्बर पर कटाक्ष करते हुए कबीर साहेब की वाणी है की माला पहनने से कुछ भी नहीं होने वाला है. यह सभी आडम्बर हैं. सर और दाढ़ी मूंछ मुंडा लेने से, बाल कटाने से कुछ भी प्राप्त नहीं होने हैं. तरह तरह के वस्त्र धारण करना, दाढ़ी मूंछ कटवा लेने से या बाल बढा लेने से कोई भी लाभ नहीं होने वाला है. यह सब कर्मकांड और आडम्बर हैं. अतः जगत का पीछा करना कोई बुद्धिमत्ता का कार्य नहीं है.
 
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