सुंदरि थे सूली भली, बिरला बचै कोय। लोह निहाला अगनि मैं, जलि बलि कोइला होय॥ Sundari The Suli bhali, Birala Banche Koy, Loh Nihala Agani Main, Jali Bali Koila Hoy.
सुंदरि थे सूली भली : सुंदर / सुन्दरी से तो सूली भली होती है.
बिरला बचै कोय : कोई विरल ही बच पाता है, कोई कोई ही बच सकता है, बचना मुश्किल है. लोह निहाला अगनि मैं : जैसे लोहे को अग्नि में डालने पर. जलि बलि कोइला होय : जल बुझ कर कोयला हो जाता है. सुंदरि : स्त्री, सुंदर कामुक नारी. थे : से, की तुलना में. सूली भली : सूली, फांसी अच्छी है. भली : भली है, बेहतर है.
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
बिरला : कोई एक आध. बचै कोय कोई बच पाता है. लोह : लोहा धातु. निहाला : डालना . अगनि मैं : अग्नि में, आग में. जलि बलि : जल कर के. कोइला होय : कोयला हो जाती है.
कबीर साहेब की वाणी है की नारी अत्यंत ही कामुक होकर माया का फंदा व्यक्ति पर डालती है. ऐसे में नारी से बेहतर तो सूली है जिस पर व्यक्ति एक बार में ही मर जाता है. नारी रह रह कर प्रतिदिन व्यक्ति को मारती है. नारी के संपर्क में आने पर यह व्यक्ति को नष्ट कर देती है जैसे लोहे को अग्नि में डाल देने पर वह जल कर नष्ट हो जाता है. लोहे से आशय है की लोहे जैसा धातु भी जलकर नष्ट हो जाता है तो छोटे मोटे की बिसात ही क्या है, भाव है की दृढ इच्छाशक्ति वाला व्यक्ति भी नारी के प्रभाव से मुक्त नहीं हो पाता है ऐसे में व्यक्ति को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है. अतः स्पष्ट है की कबीर साहेब ने नारी के प्रति आकर्षण को भक्ति मार्ग में बाधक माना है। नारी अवश्य ही व्यक्ति को भक्ति से पृथक करती है। अतः साधक को मानसिक अनुशासन स्थापित करने के लिए तमाम तरह के सांसारिक लगाव और बंधन को त्यागना ही होगा।