तन कौं जोगी सब करैं मन कों बिरला कोइ मीनिंग Tan Ko Jogi Sab Kare Kabir Dohe

तन कौं जोगी सब करैं मन कों बिरला कोइ मीनिंग Tan Ko Jogi Sab Kare Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit

तन कौं जोगी सब करैं, मन कों बिरला कोइ।
सब सिधि सहजै पाइए, जे मन जोगी होइ॥

Tan Ko Jogi Sab Kare, Man Ko Birala Koi,
Sab Sidhi Sahaje Paaiye, Je Man Jogi Hoi.
 
तन कौं जोगी सब करैं मन कों बिरला कोइ मीनिंग Tan Ko Jogi Sab Kare Kabir Dohe

  • तन कौं जोगी सब करैं : देह को विभिन्न रूप रंग के माध्यम से रंगने और वस्त्र धारण करने से, तन को जोगी सभी बनाते हैं.
  • मन कों बिरला कोइ: मन को कोई बिरला ही जोगी कर पाता है.
  • सब सिधि सहजै पाइए : सभी सिद्धियों को सहज ही प्राप्त कर सकता है.
  • जे मन जोगी होइ : जो यदि मन को जोगी बना ले.
  • तन : मानव देह, तन.
  • कौं : को.
  • जोगी : साधू.
  • सब करैं : सभी कर लेते हैं.
  • मन कों : मन को, चित्त / हृदय को.
  • बिरला कोइ : बिरला ही कोई कर पाता है.
  • सब सिधि : समस्त सिद्धि.
  • सहजै पाइए : सहज ही प्राप्त कर पाता है.
  • जे मन : जो मन को.
  • जोगी होइ : वही योगी हो जाता है.
भावार्थ : कबीर साहेब की वाणी है की इस संसार में लोग भक्ति का स्वांग रचते हैं, विभिन्न तरह के जप, तप करके माला धारण करते हैं और अपने तन पर रंग बिरंगे कपडे पहनते हैं. कोई बाल बढाता है तो कोई मुंडन करवाता है. लेकिन यह भक्ति नहीं है. तन को जोगी करने के स्थान पर मन/चित्त को माया और मोह से विरक्त करना आवश्यक है. यदि किसी ने अपने मन को विरक्त कर लिया तो सहज ही उसे सभी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं.
भाव है की हमें अपने हृदय को पवित्र रखना चाहिए और मोह माया को हृदय से छोड़ देना चाहिए. मन के विरक्त हो जाने पर समस्त सिद्धियाँ और भक्ति सहज ही प्राप्त हो जाती है. 

व्यक्ति बाह्य आडम्बरों में भक्ति को ढूंढता है लेकिन वास्तविक भक्ति तो हृदय से संभव हो पाती है. उसके लिए किसी प्रकार के यत्न की आवश्यकता नहीं होती है.

भजन श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग (Read More :Kabir Dohe Hindi Arth Sahit)
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1 Comments
  • Unknown
    Unknown 1/17/2022

    Sahitya ko samjhne k liye,kisi aur ki lekhani se likhe words ya sentence ki jaruart nahi hoti

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