भाव भजन म्हारे, समझ ना आवे, भाव में तो हिवड़ो, भर भर आवे, बोल कितना आंसुड़ा, बहाऊँ बालाजी, बोल तन्ने कीकर, ऊबो थारी हाज़री, बजाऊं बालाजी, सुणाऊँ बालाजी।
हरष भरूँ या, सिणगार मैं गाऊं, किन विध थारां, वारणा उतारूं, शब्द के सिणगार, सजाऊँ बालाजी, बोल तन्ने कीकर, ऊबो थारी हाज़री, बजाऊं बालाजी, सुणाऊँ बालाजी।
तन मन धन सब तेरो है, कुछ भी नहीं प्रभु है, चरणां में भेंट के, चढ़ाऊँ बालाजी, बोल तन्ने कीकर, ऊबो थारी हाज़री, बजाऊं बालाजी, सुणाऊँ बालाजी। *के : क्या, कौनसा।
मैं प्रभु सेवा थारी जानूँ, जनम जनम उपकार यो मानूँ, बजरंग बाला नाम बस, गाऊं बालाजी, बोल तन्ने कीकर, ऊबो थारी हाज़री, बजाऊं बालाजी, सुणाऊँ बालाजी।