सलकनपुर की मैया तुम सो कोई नईया देवी

सलकनपुर की मैया तुम सो कोई नईया देवी

(मुखड़ा)
सलकनपुर की मैया,
तुम सो कोई नईया।।

(अंतरा)
विजयासन को नाम बड़ो है,
ऊँचे पर्वत, भुवन बनो है,
पीपल की ठंडी छैया,
तुम सो कोई नईया।।

गणपति को द्वारे बैठारो,
शिव शंकर करे ध्यान तुम्हारो,
गौरा लेत बलैया,
तुम सो कोई नईया।।

हनुमत लाल ध्वजा फहराए,
भैरों-भैरवी नाचे गाए,
खेलत छील बिलैया,
तुम सो कोई नईया।।

मैया सबकी झोली भरती,
मन की आशा पूरी करती,
पदम पड़े तोरे पैया,
तुम सो कोई नईया।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
सलकनपुर की मैया,
तुम सो कोई नईया।।
 


salkanpur ki maiya,tum so koi naiya. salkanpur ki maiya,tum so koi naiya.yh bhajan itna famous ho rha he ki bar bar sunne ko ji chahta he,gayika ki surili aawaj or bhajan ke bol bhut hi Salman pur ki maiya,tum so koi naiya सलखन पुर की मैया,तुम सो कोई नैया (1)सलकनपुर को नाम बड़ो है, ऊंचे पर्वत भुवन बनो है, पीपल की ठंडी छाया ।।तुम सो कोई नैया ।। (2) गणपति को द्वारे बेठारों, शिव शंकर करे ध्यान तुम्हारो गौरा लेत बलैया ।।तुम सो कोई नैया ।। (3)हनुमत लाल ध्वजा फहराये भैरों भैरवी नाचे गाये, खेलत छील बिलैया ।।तुम सो कोई नया ।। (4)मैया सबकी झोली भरती, मन की आशा पूरी करती, 'पदम्' ,पड़े तोरे पैया ।।तुम सो कोई नैया ।। // इति //
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