यहु सब झूठी बंदिगी बरियाँ पंच निवाज Yah Sab Jhuthi Bandagi Meaning, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )
यहु सब झूठी बंदिगी, बरियाँ पंच निवाज।साचै मारै झूठ पढ़ि, काजी करै अकाज॥
Yah Sab Jhuthi Bandagi, Bariya Panj Nivaj,
Sanche Mare Jhooth Padhi, Kaji Kare Akaj.
यहु सब झूठी बंदिगी : यह सब झूठी बंदगी है.
बरियाँ पंच निवाज : दिन में पांच बार नमाज अदा करना सब झूठा है.
साचै मारै झूठ पढ़ि : सत्य को मारकर झूठ को पढना (यहाँ आशय काजी से है)
काजी करै अकाज : काजी ऐसा अनर्थ करता है.
यहु सब : लोकप्रचलित सभी कार्य.
झूठी बंदिगी : झूठी बंदगी है.
बरियाँ : बार (पांच बार की नमाज)
पंच निवाज पांच नमाज.
साचै मारै : सत्य को मारकर.
झूठ पढ़ि : झूठ को पढता है.
काजी करै अकाज : काजी ऐसा अकाज करता है.
बरियाँ पंच निवाज : दिन में पांच बार नमाज अदा करना सब झूठा है.
साचै मारै झूठ पढ़ि : सत्य को मारकर झूठ को पढना (यहाँ आशय काजी से है)
काजी करै अकाज : काजी ऐसा अनर्थ करता है.
यहु सब : लोकप्रचलित सभी कार्य.
झूठी बंदिगी : झूठी बंदगी है.
बरियाँ : बार (पांच बार की नमाज)
पंच निवाज पांच नमाज.
साचै मारै : सत्य को मारकर.
झूठ पढ़ि : झूठ को पढता है.
काजी करै अकाज : काजी ऐसा अकाज करता है.
कबीर साहेब की वाणी है की यह सब मिथ्या है, झूठी बंदगी है. यदि काजी धर्म की राह पर नहीं चलता है तो वह सत्य को मारकर पांच बार नवाज पढता है तो यह मिथ्या
आडम्बर ही है. सत्य की ह्त्या करके वह असत्य या काल्पनिक कथनीय सत्य को पढता रहता है, जो की उचित नहीं है. भाव है की ऐसी नमाज का ही महत्त्व होता है जिसके साथ मानवीय मूल्य हों. सत्य का दमन करके नमाज को पढ़ना कोई महत्त्व नहीं रखता है, सत्य आचरण के अभाव में किसी नमाज पढने का कोई महत्त्व नहीं हॉट है.
भाव है की नमाज के साथ ही व्यक्ति को अपने आचरण में मानवता को शामिल करना चाहिए और नैतिक कार्य करना चाहिए. किताबी ज्ञान के स्थान पर आत्मिक ज्ञान होना परम आवश्यक है.
आडम्बर ही है. सत्य की ह्त्या करके वह असत्य या काल्पनिक कथनीय सत्य को पढता रहता है, जो की उचित नहीं है. भाव है की ऐसी नमाज का ही महत्त्व होता है जिसके साथ मानवीय मूल्य हों. सत्य का दमन करके नमाज को पढ़ना कोई महत्त्व नहीं रखता है, सत्य आचरण के अभाव में किसी नमाज पढने का कोई महत्त्व नहीं हॉट है.
भाव है की नमाज के साथ ही व्यक्ति को अपने आचरण में मानवता को शामिल करना चाहिए और नैतिक कार्य करना चाहिए. किताबी ज्ञान के स्थान पर आत्मिक ज्ञान होना परम आवश्यक है.