राम गुण गायले रे बीरा थारो

राम गुण गायले रे बीरा थारो

राम गुण गायले रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।
राम गुण गायले रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।
पीछे याद नहीं आवसी रे,
पिंजरे व्यापे पीर,
राम गुण गायले रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।
हरी रा गुण रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।

भाग भला म्हाने,
सतगुरु मीलीया,
पङीयो समंद मे सीर,
हँस होय चुग लीजिए रे,
नाम अमोलक हीर।
राम गुण गायले रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।
हरी रा गुण रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।

बाळपणे भज लीजीए रे,
देर न कीजे वीर।
अंत बूढापो आवसी रे,
मनवो धरे ना धीर।
राम गुण गाय ले रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।
हरी रा गुण रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।

अवसर जाय बीत्यो दिनोदिन,
ज्यों अंजलि रो नीर।
फैर ना हँसो आवसी रे,
मान सरोवर तीर।
राम गुण गायले रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।
हरी रा गुण रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।

सब देवा रो देव रामैया,
सब पीरा रो पीर,
कहत राम भज लीजिए रे,
हरी है सुख की सीर।
राम गुण गायले रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।
हरी रा गुण रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।

राम गुण गायले रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।
राम गुण गायले रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।
पीछे याद नहीं आवसी रे,
पिंजरे व्यापे पीर,
राम गुण गायले रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।
हरी रा गुण रे, बीरा थारो,
जब लग सुखी रे शरीर।

भजन श्रेणी : राजस्थानी भजन (Rajasthani Bhajan)

Sunita Swami || हरी गुण गाये ले रे जब लग सुखी रे शरीर || कबीरदास भजन || Hari Gun Gaye Le Re Jab
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