शीतला माता चालीसा लिरिक्स Sheetala Mata Chalisa Lyrics

शीतला माता चालीसा लिरिक्स Sheetala Mata Chalisa Lyrics, Sheetala Mata Chalisa Benefits in Hindi, Fayde/Laabh Pujan


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शीतला माता शीतलता प्रदान करने वाली देवी हैं। शीतला माता को आरोग्य और धन की देवी माना जाता है। हिंदू धर्म में शीतला माता को चेचक और मौसम बदलने से होने वाली रोगों की देवी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा करने से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है। शीतला माता की पूजा शीतला अष्टमी को की जाती है, जो होली के आठवें दिन मनाई जाती है। शीतला अष्टमी को शीतला माता की पूजा करने के लिए सप्तमी तिथि को ही खाना बनाकर रख दिया जाता है और बासी खाने से शीतला अष्टमी को शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा करने के बाद घर के सभी सदस्य बासी भोजन ही करते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं और सभी रोग दूर कर देती हैं।शीतला माता स्वास्थ्यलाभ प्रदान करने वाली देवी हैं। शीतला माता चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य संबंधित सभी परेशानियां दूर होती हैं और व्यक्ति स्वस्थ तन और मन प्राप्त करता है। शीतला माता चालीसा पाठ करने से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ और सुखी रहता है। 
 

शीतला माता चालीसा लिरिक्स इन हिंदी Sheetala Mata Chalisa Lyrics in Hindi

दोहा
जय जय माता शीतला ,
तुमहिं धरै जो ध्यान।
होय विमल शीतल हृदय,
विकसे बुद्धी बल ज्ञान।
घट-घट वासी शीतला ,
शीतल प्रभा तुम्हार।
शीतल छइयां में झुलई,
मइयां पलना डार।
चौपाई
जय-जय- जय श्री शीतला भवानी,
जय जग जननि सकल गुणखानी।
गृह -गृह शक्ति तुम्हारी राजित,
पूरण शरदचंद्र समसाजित।
विस्फोटक से जलत शरीरा,
शीतल करत हरत सब पीड़ा।
मात शीतला तव शुभनामा,
सबके गाढे आवहिं कामा।
शोकहरी शंकरी भवानी,
बाल-प्राणक्षरी सुख दानी।
शुचि मार्जनी कलश करराजै,
मस्तक तेज सूर्य समराजै।
चौसठ योगिन संग में गावै,
वीणा ताल मृदंग बजावै।
नृत्य नाथ भैरौं दिखलावै,
सहज शेष शिव पार ना पावै।
धन्य धन्य धात्री महारानी,
सुरनर मुनि तब सुयश बखानी।
ज्वाला रूप महा बलकारी,
दैत्य एक विस्फोटक भारी।
घर घर प्रविशत कोई न रक्षत,
रोग रूप धरी बालक भक्षत।
हाहाकार मच्यो जगभारी,
सक्यो न जब संकट टारी।
तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा,
कर में लिये मार्जनी सूपा।
विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्हो,
मूसल प्रमाण बहुविधि कीन्हो।
बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा,
मैय्या नहीं भल मैं कछु कीन्हा।
अबनहिं मातु काहुगृह जइ हो,
जहँ अपवित्र वही घर रहि हो।
भभकत तन शीतल भय जइ हो,
विस्फोटक भय घोर नसइ हो।
श्री शीतलहिं भजे कल्याना,
वचन सत्य भाषे भगवाना।
विस्फोटक भय जिहि गृह भाई,
भजै देवि कहँ यही उपाई।
कलश शीतलाका सजवावे,
द्विज से विधीवत पाठ करावे।
तुम्हीं शीतला, जगकी माता,
तुम्हीं पिता जग की सुखदाता।
तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी,
नमो नमामी शीतले देवी।
नमो सुखकरनी दु:खहरणी,
नमो- नमो जगतारणि धरणी।
नमो नमो त्रलोक्य वंदिनी,
दुख दारिद्रक निकंदिनी।
श्री शीतला , शेढ़ला, महला,
रुणलीहृणनी मातृ मंदला।
हो तुम दिगम्बर तनुधारी,
शोभित पंचनाम असवारी।
रासभ, खर , बैसाख सुनंदन,
गर्दभ दुर्वाकंद निकंदन।
सुमिरत संग शीतला माई,
जाही सकल सुख दूर पराई।
गलका, गलगन्डादि जुहोई,
ताकर मंत्र न औषधि कोई।
एक मातु जी का आराधन,
और नहिं कोई है साधन।
निश्चय मातु शरण जो आवे,
निर्भय मन इच्छित फल पावे।
कोढी, निर्मल काया धारे,
अंधा, दृग निज दृष्टि निहारे।
बंध्या नारी पुत्र को पावे,
जन्म दरिद्र धनी होइ जावे।
मातु शीतला के गुण गावत,
लखा मूक को छंद बनावत।
यामे कोई करै जनि शंका,
जग मे मैया का ही डंका।
भगत ‘कमल’ प्रभुदासा,
तट प्रयाग से पूरब पासा।
ग्राम तिवारी पूर मम बासा,
ककरा गंगा तट दुर्वासा।
अब विलंब मैं तोहि पुकारत,
मातृ कृपा कौ बाट निहारत।
पड़ा द्वार सब आस लगाई,
अब सुधि लेत शीतला माई।
दोहा
यह चालीसा शीतला,
पाठ करे जो कोय,
सपनें दुख व्यापे नही,
नित सब मंगल होय।
बुझे सहस्र विक्रमी,  
शुक्ल भाल भल किंतू,
जग जननी का ये चरित,
रचित भक्ति रस बिंतू।
इति श्री शीतला चालीसा 

शीतला माता चालीसा का पाठ करने के पश्चात शीतला माता की आरती भी करें। शीतला अष्टमी पर शीतला माता की पूजा करने से सभी रोग दोष दूर होते हैं और व्यक्ति स्वस्थ तन मन प्राप्त करता है।
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता।
ॐ जय शीतला माता....।
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भाता,
ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें, जगमग छवि छाता।
ॐ जय शीतला माता.....।
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,
वेद पुराण वरणत, पार नहीं पाता।
ॐ जय शीतला माता.....।
इन्द्र मृदङ्ग बजावत, चन्द्र वीणा हाथा,
सूरज ताल बजावे, नारद मुनि गाता।
ॐ जय शीतला माता.....।
घण्टा शङ्ख शहनाई, बाजे मन भाता,
करें भक्त जन आरती, लखि लखि हर्षाता।
ॐ जय शीतला माता.....।
ब्रह्म रूप वरदानी, तुही तीन काल ज्ञाता,
भक्तन को सुख देती, मातु पिता भ्राता।
ॐ जय शीतला माता.....।
जो जन ध्यान लगावे, प्रेम शक्ति पाता,
सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता।
ॐ जय शीतला माता.....।
रोगों से जो पीड़ित कोई, शरण तेरी आता,
कोढ़ी पावे निर्मल काया, अन्ध नेत्र पाता।
ॐ जय शीतला माता.....।
बांझ पुत्र को पावे, दारिद्र कट जाता,
ताको भजै जो नाहीं, सिर धुनि पछताता।
ॐ जय शीतला माता.....।
शीतल करती जननी, तू ही है जग त्राता,
उत्पत्ति बला बिनाशन, तू सब की घाता।
ॐ जय शीतला माता.....।
दास नारायण कर जोड़े मेरी माता,
भक्ति अपनी दीजै और न कुछ भाता।
ॐ जय शीतला माता.....।

शीतला माता चालीसा पढ़ने के फायदे Sheetala Mata Puja Benefits/Fayade/Laabh Hindi Me

  • शीतला माता चालीसा का पाठ करने व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
  • 'पहला सुख निरोगी काया', हिंदू धर्म में इस वाक्य का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।
  • ऐसा माना जाता है कि स्वस्थ शरीर ही परम सुख है। शीतला माता की पूजा करने से स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है।
  • स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का वास होता है, और स्वस्थ शरीर की प्राप्ति के लिए शीतला चालीसा का पाठ करना लाभदायक होता है।
  • स्वस्थ दिमाग से ही सभी कार्य सफल होते हैं, व्यक्ति के सोचने, समझने और चिंतन मनन करने की शक्ति स्वस्थ मन से ही प्राप्त होती है।
  • स्वस्थ मन प्राप्त करने के लिए व्यक्ति का शरीर भी स्वस्थ रहना चाहिए और शीतला चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को स्वस्थ तन और मन की प्राप्ति होती है।
  • शीतला चालीसा का पाठ करने से घर में धन की प्रचुरता रहती है।
  • घर में सौभाग्य की वृद्धि करने के लिए शीतला चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  • घर का वातावरण शुद्ध और समृद्ध बनाने के लिए भी शीतला चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायक है।
  • शीतला चालीसा का पाठ करने से बदलते मौसम से होने वाली बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Mata Rani Bhajan)

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