शिरडी के साईं रे कहाँ छुपे हो मेरी बापा
शिरडी के साईं रे कहाँ छुपे हो मेरी बापा
शिरडी के साईं,
शिरडी के साईं रे,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
काँटों के ऊपर सेज है मेरी,
काँटों के ऊपर सेज है मेरी,
बैरी हुआ संसार,
हो, बैरी हुआ संसार,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा।।।
लाखों की तुमने बिगड़ी बनाई,
क्यों फिर मेरी याद न आई रे,
अपने ही साये से डर लागे,
क्यों सुख मुझसे दूर ही भागे रे,
ग़मों की गठरी का अब मुझसे,
सहा न जाए भार,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा।।।
आँसू बहाते बीती उमरिया,
तुम्हें क्यों हुई न इसकी खबरिया रे,
रगड़ रगड़ के घिस गया माथा,
दर्द में भीगी सुन ले गाथा रे,
फूलों से कोमल काया ऊपर,
बरस रहे अंगार,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
शिरडी के साईं रे,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
शिरडी के साईं रे।।।
शिरडी के साईं रे,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
काँटों के ऊपर सेज है मेरी,
काँटों के ऊपर सेज है मेरी,
बैरी हुआ संसार,
हो, बैरी हुआ संसार,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा।।।
लाखों की तुमने बिगड़ी बनाई,
क्यों फिर मेरी याद न आई रे,
अपने ही साये से डर लागे,
क्यों सुख मुझसे दूर ही भागे रे,
ग़मों की गठरी का अब मुझसे,
सहा न जाए भार,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा।।।
आँसू बहाते बीती उमरिया,
तुम्हें क्यों हुई न इसकी खबरिया रे,
रगड़ रगड़ के घिस गया माथा,
दर्द में भीगी सुन ले गाथा रे,
फूलों से कोमल काया ऊपर,
बरस रहे अंगार,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
शिरडी के साईं रे,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
कहाँ छुपे हो मेरी बापा,
शिरडी के साईं रे।।।
Shirdi Ke Sai | Sooraj Kumar | Sai Baba Bhajan | Shirdi Sai Baba | Sai Bhajans | Tips Bhakti Prem
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हृदय में गहरी पुकार उठती है, जो प्रभु की अनुपस्थिति का दुख अनुभव करती है, मानो वह अपने भक्त की व्यथा से अनजान हो। जीवन की राह कांटों से भरी प्रतीत होती है, जहां हर कदम पर दुख और कष्ट बिछे हैं। संसार बैरी बनकर सामने खड़ा है, और मन उस परम सत्ता को खोजता है, जो कहीं दिखाई नहीं देता, पर जिसके बिना जीवन का हर पल बोझिल लगता है। यह पुकार उस विश्वास से उपजती है, जो प्रभु की कृपा पर अटल है, फिर भी मन में प्रश्न उठता है कि वह दया का सागर कहां छिपा है, जो इस कठिन घड़ी में साथ नहीं दिखता।
लाखों की तकदीर संवारने वाली उस शक्ति के सामने मन अपनी व्यथा को रखता है, यह सोचकर कि शायद उसकी पुकार अभी तक अनसुनी रही। आंसुओं से भरी उम्र और दुखों की गठरी से मन थक चुका है, और वह प्रभु से अपनी पीड़ा सुनने की विनती करता है। जीवन की कोमलता पर कष्ट के अंगारे बरस रहे हैं, और माथा रगड़ने से भी मन की व्याकुलता कम नहीं होती। यह पुकार उस प्रभु को खोजने की है, जो दुखों को हरने वाला है, पर जिसका दर्शन इस घड़ी में मन को नहीं मिल रहा। फिर भी, यह विश्वास बना रहता है कि वह कहीं न कहीं सुन रहा है, और उसकी कृपा देर-सवेर अवश्य प्राप्त होगी।
लाखों की तकदीर संवारने वाली उस शक्ति के सामने मन अपनी व्यथा को रखता है, यह सोचकर कि शायद उसकी पुकार अभी तक अनसुनी रही। आंसुओं से भरी उम्र और दुखों की गठरी से मन थक चुका है, और वह प्रभु से अपनी पीड़ा सुनने की विनती करता है। जीवन की कोमलता पर कष्ट के अंगारे बरस रहे हैं, और माथा रगड़ने से भी मन की व्याकुलता कम नहीं होती। यह पुकार उस प्रभु को खोजने की है, जो दुखों को हरने वाला है, पर जिसका दर्शन इस घड़ी में मन को नहीं मिल रहा। फिर भी, यह विश्वास बना रहता है कि वह कहीं न कहीं सुन रहा है, और उसकी कृपा देर-सवेर अवश्य प्राप्त होगी।
Song Name: Shirdi Ke Sai
Album: Khushiyan De De Sai
Singer: Sooraj Kumar
Music Director: Surinder Kohli
Lyrics: Balbir Nirdosh
Album: Khushiyan De De Sai
Singer: Sooraj Kumar
Music Director: Surinder Kohli
Lyrics: Balbir Nirdosh
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Author - Saroj Jangir
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