जुगनी कत्तदी चरख़ा साईं भजन

जुगनी कत्तदी चरख़ा साईं भजन

(मुखड़ा)
अल्लाह बिस्मिल्लाह तेरी जुगनी,
पीर मौला अली तेरी जुगनी,
साईं मेहरा वालेया वे जुगनी,
अली मौला अली तेरी जुगनी।।

(अंतरा)
हो जुगनी कातदी चरखा,
ओ नाम लेंदी साईं दा,
ए चाढ़े पूनी इश्क दी,
उत्ते अमला दा तंद पाइंदा,
हो जुगनी कातदी चरखा,
ओ नाम लेंदी साईं दा।।

(अंतरा)
जेनू होवे इश्क बीमारी,
ओ फेर मर नहीं सकदा,
जेनू होवे भाल पक्के दी,
ओ फेर तर नहीं सकदा,
रोटी लईए इश्क दी सज्जना,
हिज्र तंदूर तपाइंदा,
हो जुगनी कातदी चरखा,
ओ नाम लेंदी साईं दा।।

(अंतरा)
जुगनी तेरे अंदर बैठी,
पाउँदी रहंदी बातें,
क्यों बहिंदा ऐ चार चुफेरे,
पा अंदर नूं झाका,
पाउँदे मुरशद झांक अंदर जो,
फर्शों अर्श पहुंचाइंदा,
हो जुगनी कातदी चरखा,
ओ नाम लेंदी साईं दा।।

(अंतरा)
मिट्टी दा कलबूत बना के,
विच वड़ बैठा आपे,
आपे धीयां, आपे पुत्र,
आपे बनदा मापे,
बुल्ले शाह मुरशद मिलया,
फिर आपे दा आपे,
हो जुगनी कातदी चरखा,
ओ नाम लेंदी साईं दा।।

(पुनरावृत्ति)
हो जुगनी कातदी चरखा,
ओ नाम लेंदी साईं दा।।


Jugni (Full Song) Lakhwinder Wadali | Punjabi song 2018

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ਅੱਲ੍ਹਾਹ ਬਿਸਮਿਲ੍ਹਾ, ਤੇਰੀ ਜੁਗਨੀ l
ਪੀਰ ਮੌਲਾ ਅਲੀ, ਤੇਰੀ ਜੁਗਨੀ ll
ਸਾਈਂ ਮੇਹਰਾਂ, ਵਾਲਿਆ ਵੇ ਜੁਗਨੀ l
ਅਲੀ ਮੌਲਾ ਅਲੀ, ਤੇਰੀ ਜੁਗਨੀ l

ਹੋ ਜੁਗਨੀ ਕੱਤਦੀ ਚਰਖ਼ਾ,
ਓਹ ਨਾਂਅ ਲੈਂਦੀ ਸਾਈਂ ਦਾ ll
ਏਹ ਚਾੜ੍ਹੇ ਪੂਣੀ ਇਸ਼ਕ਼ ਦੀ,,, ll,
ਉੱਤੇ ਅਮਲਾਂ ਦਾ ਤੰਦ ਪਾਈਦਾ,,,
ਹੋ ਜੁਗਨੀ ਕੱਤਦੀ ਚਰਖ਼ਾ,
ਓਹ ਨਾਂਅ ਲੈਂਦੀ ਸਾਈਂ ਦਾ ll

ਜੇਹਨੂੰ ਹੋਵੇ ਇਸ਼ਕ਼ ਬਿਮਾਰੀ,
ਓ ਫਿਰ ਮਰ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ l
ਜੇਹਨੂੰ ਹੋਵੇ ਭਾਲ ਪੱਕੇ ਦੀ,
ਓ ਫਿਰ ਤਰ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ ll
ਰੋਟੀ ਲਾਹੀਏ ਇਸ਼ਕ਼ ਦੀ ਸੱਜਣਾ,,, ll,
ਹਿਜ਼ਰ ਤੰਦੂਰ ਤਪਾਈਦਾ,,,
ਹੋ ਜੁਗਨੀ ਕੱਤਦੀ ਚਰਖ਼ਾ,,,,,,,,,,,,,

ਜੁਗਨੀ ਤੇਰੇ ਅੰਦਰ ਬੈਠੀ,
ਪਉਂਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਬਾਤਾਂ l
ਕਿਉਂ ਵੇਹਂਦਾ ਏ ਚਾਰ ਚੁਫ਼ੇਰੇ,
ਪਾ ਅੰਦਰ ਨੂੰ ਝਾਕਾਂ ll
ਪਾਉਂਦੇ ਮੁਰਸ਼ਦ ਝਾਕ ਅੰਦਰ ਜੋ,,, ll,
ਫ਼ਰਸ਼ੋਂ ਅਰਸ਼ ਪਹੁੰਚਾਇਦਾ,,,
ਹੋ ਜੁਗਨੀ ਕੱਤਦੀ ਚਰਖ਼ਾ,,,,,,,,,,,,,

ਮਿੱਟੀ ਦਾ ਕਲਬੂਤ ਬਣਾ ਕੇ,
ਵਿੱਚ ਵੜ੍ਹ ਬੈਠਾ ਆਪੇ l
ਆਪੇ ਧੀਆਂ ਆਪੇ ਹੀ ਪੁੱਤਰ
ਆਪੇ ਬਣਦਾ ਮਾਪੇ ll
ਬੁੱਲੇ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ, ਮੁਰਸ਼ਦ ਮਿਲਿਆ,,, ll,  
ਫਿਰ ਆਪੇ ਦਾ ਆਪੇ,,,
ਹੋ ਜੁਗਨੀ ਕੱਤਦੀ ਚਰਖ਼ਾ,,,,,,,,,,,,,
 
Song : Jugni
Singer : Lakhwinder Wadali
Music Director : Rupin Kahlon
Lyricist : Traditional
Project Concieved by : Vivek Tulli
Produced by : MH One Music (Delhi)
 
प्रभु का नाम लेने वाला हृदय उस चरखे की तरह है, जो प्रेम और भक्ति की डोर से बंधकर निरंतर उनकी स्मृति में लीन रहता है। यह भक्ति का वह इश्क़ है, जो आत्मा को प्रभु के साथ एकाकार कर देता है, और मन को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर उसकी कृपा के अमृत से सराबोर करता है। यह प्रेम एक ऐसी बीमारी है, जो भक्त को जीने की प्रेरणा देती है, उसे मृत्यु के भय से परे ले जाती है, और हर कदम पर प्रभु की उपस्थिति का अनुभव कराती है। यह वह पवित्र अग्नि है, जो हृदय को तपाकर उसे शुद्ध और निर्मल बनाती है, और भक्त को उस परम सत्य की ओर ले जाती है, जो सृष्टि का मूल है।

प्रभु की खोज बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि अपने भीतर की गहराइयों में होती है। जब भक्त अपने हृदय में झांकता है, तब उसे प्रभु का वह स्वरूप दिखाई देता है, जो सारी सृष्टि का सृजनकर्ता और पालक है। वह स्वयं ही सब कुछ है—सृष्टि, सृजन, और संहार। यह आत्मिक यात्रा भक्त को उस बिंदु तक ले जाती है, जहाँ वह स्वयं को और प्रभु को एक ही रूप में देखता है। ऐसी भक्ति में डूबा हुआ मन न केवल अपने लिए, बल्कि समस्त मानवता के लिए प्रेम और करुणा का संदेश बन जाता है। प्रभु का नाम लेना और उनकी भक्ति में लीन रहना वह मार्ग है, जो फर्श से अर्श तक की यात्रा को संभव बनाता है, और भक्त को परम सत्य के दर्शन कराता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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