वो पर्दे के पीछे जो पर्दा-नशीन है

वो पर्दे के पीछे जो पर्दा-नशीन है


उठा पर्दा, दिखा जलवा,
दीवाने ख़ास आए हैं।
सुनाने हाले-दिल मोहन,
तुम्हारे पास आए हैं।।

वो पर्दे के पीछे, जो पर्दा-नशीन है,
मेरा सांवरा है ये, मुझको यक़ीन है।।

तलबगार उसका है, ये सारा ज़माना,
कोई है पगला, तो कोई दीवाना।
दिल लूटने का उसे शौक़ कम नहीं है,
वो पर्दे के पीछे, जो पर्दा-नशीन है।।

उठती है जब भी दिल-ए-बेकरारी,
तो आता है बाहर, बाँके बिहारी।
रसीला, रंगीला, बड़ा ही हसीन है,
वो पर्दे के पीछे, जो पर्दा-नशीन है।।

ये पर्दा हटा दो, तड़प दूर कर दो,
मेरी भावनाओं में श्याम रस भर दो।
मोरी चुनरिया तोरे रंग में रंगीन है,
वो पर्दे के पीछे, जो पर्दा-नशीन है।।


परदे के पीछे - डॉ लता परदेसी | गोविंद सरस्वती | श्री केवल कृष्ण मधुप | चैनल दिव्य

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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