सखी दोष नहीं मनमोहन का

सखी दोष नहीं मनमोहन का

सखी दोष नहीं मनमोहन का,
वह बांस बुरे जिनकी बंसी,
वह बांस बुरे जिनकी बंसी,
वह बांस बुरे जिनकी मुरली,
सखी दोष नहीं मनमोहन का।

कभी सुबह बजे कभी शाम बजे,
कभी आधी रात बजे बंसी,
बन बन के बांस कटा दीजो,
ना उपजे बांस ना बने बंसी,
सखी दोष नहीं मनमोहन का।

वृंदावन रहना छोड़ दिया,
गोकुल भी जाना छोड़ दिया,
नहीं पीछा छोड़ा बंसी ने,
बरसाने आए बजी बंसी,
सखी दोष नहीं मनमोहन का।

मैं उनकी छवि पर वारी हूं,
जिन होठों की है यह बंसी,
सखी दोष नहीं राधा प्यारी का,
उनके हृदय में बसी बंसी,
सखी दोष नहीं मनमोहन का।

बंसी सब शुरू को साधे हैं,
पर एक ही धुन पर बाजे है,
सखी हाल ना पूछो मोहन का,
सब कुछ ही राधे-राधे है,
सखी दोष नहीं मनमोहन का।


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)


।। सखी दोष नहीं मनमोहन का वो बास बुरे जिनकी बंसी ।। SAKHI DOSH NAHI MANMOHAN KA WO BAS BURE।।

Next Post Previous Post