भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ जी जैन धर्म के बीसवें तीर्थंकर थे। भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ नाथ जी का जन्म राजगृह के हरिवंश कुल में हुआ था। भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ नाथ जी का जन्म ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रवण नक्षत्र में हुआ था। भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ नाथ जी के पिता का नाम राजा सुमित्र था और इनकी माता का नाम पद्मावती देवी था। भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ नाथ जी के शरीर का वर्ण श्याम वर्ण था। भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ नाथ जी का प्रतीक चिन्ह एक कछुआ है। भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ जी स्वामी ने राजगृह में फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को दीक्षा ग्रहण की थी।
दीक्षा प्राप्ति के बाद 11 महीने तक कठोर तप करने के पश्चात फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ जी को राजगृह में चम्पक वृक्ष के नीचे कैवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई। भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ जी ने एक हजार साधुओं के साथ सम्मेद शिखर पर ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को निर्वाण को प्राप्त किया। भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ नाथ जी ने सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने का संदेश दिया है। भगवान श्री मुनिसुव्रत नाथ चालीसा का पाठ करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है और सभी संकट टल जाते हैं। भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ नाथ जी का चालीसा पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अरिहंत सिद्ध आचार्य को करूँ प्रणाम, उपाध्याय सर्वसाधू करते स्वपर कल्याण। जिनधर्म, जिनागम, जिनमंदिर पवित्र धाम, वीतराग की प्रतिमा को कोटि-कोटि प्रणाम। जय मुनिसुव्रत दया के सागर, नाम प्रभु का लोक उजागर। सुमित्रा राजा के तुम नन्दा, माँ शामा की आँखो के चन्दा। श्यामवर्ण मूरत प्रभू की प्यारी, गुणगान करे निशदिन नर नारी। मुनिसुव्रत जिन हो अन्तरयामी, श्रद्धा भाव सहित तुम्हें प्रणामी। भक्ति आपकी जो निशदिन करता, पाप ताप भय संकट-हरता। प्रभू संकटमोचन नाम तुम्हारा,
दीन दुखी जीवों का सहारा। कोई दरिद्री या तन का रोगी, प्रभू दर्शन से होते है निरोगी। मिथ्या तिमिर भयो अति भारी, भव भव की बाधा हरो हमारी। यह संसार महा दुख दाई, सुख नही यहां दुख की खाई। मोह जाल में फंसा है बंदा, काटो प्रभु भव भव का फंदा। रोग शोक भय व्याधि मिटावो, भव सागर से पार लगावो। घिरा कर्म से चौरासी भटका, मोह माया बन्धन में अटका। संयोग-वियोग भव भव का नाता, राग द्वेष जग में भटकाता। हित मित प्रित प्रभू की वाणी, स्वपर कल्याण करे मुनि ध्यानी। भव सागर बीच नाव हमारी, प्रभु पार करो यह विरद तिहारी। मन विवेक मेरा अब जागा, प्रभु दर्शन से कर्ममल भागा। नाम आपका जपे जो भाई, लोका लोक सुख सम्पदा पाई। कृपा दृष्टी जब आपकी होवे, धन आरोग्य सुख समृधि पावे। प्रभु चरणन में जो जो आवे, श्रद्धा भक्ति फल वांछित पावे।
Chalisa Lyrics in Hindi,Jain Bhajan Lyrics Hindi
प्रभु आपका चमत्कार है न्यारा, संकट मोचन प्रभु नाम तुम्हारा। सर्वज्ञ अनंत चतुष्टय के धारी, मन वच तन वंदना हमारी। सम्मेद शिखर से मोक्ष सिधारे, उद्धार करो मैं शरण तिहारे। महाराष्ट्र का पैठण तीर्थ, सुप्रसिद्ध यह अतिशय क्षेत्र। मनोज्ञ मन्दिर बना है भारी, वीतराग की प्रतिमा सुखकारी। चतुर्थ कालीन मूर्ति है निराली, मुनिसुव्रत प्रभू की छवि है प्यारी। मानस्तंभ उत्तग की शोभा न्यारी, देखत गलत मान कषाय भारी। मुनिसुव्रत शनिग्रह अधिष्ठाता, दुख संकट हरे देवे सुख साता। शनि अमावस की महिमा भारी, दूर-दूर से आते नर नारी। मुनिसुव्रत दर्शन महा हितकारी, मन वच तन वंदना हमारी। सोरठा सम्यक श्रद्धा से चालीसा, चालीस दिन पढिये नर-नार। मुक्ति पथ के राही बन, भक्ति से होवे भव पार।
Shri Munisuvratanath Aarti
ॐ जय मुनिसुव्रत स्वामी, प्रभु जय मुनि मुनिसुव्रत स्वामी भक्ति भाव से प्रणमूँ, जय अंतरयामी|| ॐ जय… राजगृही में जन्म लिया प्रभु, आनंद भयो भारी सुर-नर-मुनि गुण गायें, आरती कर थारी|| ॐ जय… पिता तुम्हारे सुमित्र राजा, श्यामा के जाया श्यामवर्ण मूरत है तेरी, पैठन में अतिशय दर्शाया|| ॐ जय… जो ध्यावे सुख पावे, सब संकट दूर करें मनवांछित फल पावें, जो प्रभु चरण धरें|| ॐ जय… जन्म-मरण दुःख हरो प्रभु, सब पाप मिटे मेरे ऐसी कृपा करो, प्रभु हम दास रहें तेरे|| ॐ जय… निज-गुण ज्ञान का दीपक, ले आरती करूँ थारी सम्यक ज्ञान दो सबको, जय त्रिभुवन के स्वामी|| ॐ जय… ॐ जय मुनिसुव्रत स्वामी, प्रभु जय मुनि मुनिसुव्रत स्वामी भक्ति भाव से प्रणमूँ, जय अंतरयामी|| ॐ जय…
Shri Munisuvratnath Ji Ki Aarti
ॐ जय मुनिसुव्रतस्वामी, प्रभु जय मुनिसुव्रत स्वामी | भक्ति भाव से प्रणमूँ, भक्ति भाव से प्रणमूँ || जय अंतरयामी, ॐ जय मुनिसुव्रतस्वामी ||
राजगृही में जन्म लिया प्रभु, आनंद भयो भारी | सुर नर मुनि गुण गाएँ, आरती कर थारी || ॐ जय मुनिसुव्रतस्वामी ||
पिता तिहारे सुमित्र राजा, शामा के जाये | श्यामवर्ण मूरत तेरी, पैठण में अतिशय दर्शाये || ॐ जय मुनिसुव्रतस्वामी ||
जो ध्यावे सुख पावे, सब संकट दूर करें | मनवाँछित फल पावे, जो प्रभु चरण धरें || ॐ जय मुनिसुव्रतस्वामी ||
जन्म मरण दु:ख हरो प्रभु, सब पाप मिटे मेरे | ऐसी कृपा करो प्रभु हम पर, दास रहें तेरे || ॐ जय मुनिसुव्रतस्वामी ||
निजगुण ज्ञान का दीपक, ले आरती करुं थारी | सम्यग्ज्ञान दो सबको, जय त्रिभुवन स्वामी || ॐ जय मुनिसुव्रतस्वामी ||
ॐ जय मुनिसुव्रतस्वामी, प्रभु जय मुनिसुव्रत स्वामी | भक्ति भाव से प्रणमूँ, भक्ति भाव से प्रणमूँ || जय अंतरयामी, ॐ जय मुनिसुव्रतस्वामी ||