भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। उनका जन्म वैशाली नगर के कुंड ग्राम में क्षत्रिय परिवार में हुआ था। भगवान महावीर ने 30 वर्ष की आयु में ही घर संसार से विरक्त होकर सभी सुख सुविधाओं और वैभव का त्याग कर दिया। महज 30 वर्ष की आयु में ही भगवान महावीर ने सन्यास धारण कर लिया 12 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद उन्हें केवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई। केवल्य ज्ञान प्राप्त करने के बाद उन्होंने दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया। महावीर स्वामी ने अहिंसा और सत्य को परम धर्म बताया। महावीर स्वामी ने जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए हैं, जो इस प्रकार है- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्मचर्य। उन्होंने जैन धर्म के कई सिद्धांत भी दिए जैसे- अनेकांतवाद, स्यादवाद और अपरिग्रह। भगवान महावीर किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करते थे, उनके लिए सभी व्यक्ति एक समान थे। महावीर स्वामी 'जियो और जीने दो' सिद्धांत में यकीन रखते थे।
दोहा शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम। उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम। सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार। महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार। चौपाई जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी। वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा। शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत। तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा। क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया। तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता। तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश। तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा। भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें। महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे। काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी। ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला। अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो। नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे। हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा। जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी। सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।
छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी। पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई। टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया। सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके। सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया। जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा। ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला। मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया। बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई। तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी। ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया। पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के। मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते। स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया। हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही। मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया। मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर। तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ। चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे। दोहा नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन, खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने। होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो, जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।
महावीर चालीसा के फायदे : Shri Mahavir Chalisa Benefits in Hindi / Puja Vidhi
महावीर चालीसा का पाठ करने से आर्थिक संपन्नता प्राप्त होती है।
सभी रोग द्वेष से छुटकारा प्राप्त करने के लिए महावीर चालीसा का पाठ करना चाहिए।
महावीर चालीसा का पाठ करने से भूत, प्रेत, ऊपरी बाधाएं और रोग दोष दूर होते हैं।
महावीर चालीसा का पाठ करने से अहंकार से मुक्ति मिलती है।
सांसारिक बंधन से मुक्ति पाने के लिए महावीर चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभदायक है।
शत्रु से मुक्ति प्राप्त करने के लिए महावीर चालीसा का पाठ करना चाहिए।
नित्य रूप से महावीर चालीसा का पाठ करने से महावीर स्वामी की कृपा प्राप्त होती हैं।
महावीर चालीसा के पाठ करने से बड़ी से बड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
निसंतान दंपत्ति महावीर चालीसा का पाठ करके मनचाही संतान की प्राप्ति कर सकते हैं।
गरीब और निर्धन व्यक्ति धन, वैभव और समृद्धि प्राप्त करने के लिए महावीर चालीसा का पाठ कर मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं।
महावीर चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार की समस्याओं का निराकरण हो जाता है।
प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और मान-सम्मान की प्राप्ति हेतु महावीर चालीसा का पाठ करना चाहिए।
महावीर चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मन में शांति, विश्वास और उत्साह का संचार होता है।
ॐ जय महावीर प्रभु : भगवान श्री महावीर जी की आरती।
ॐ जय महावीर प्रभु,
Chalisa Lyrics in Hindi,Jain Chalisa
स्वामी जय महावीर प्रभु । कुण्डलपुर अवतारी, चांदनपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभु ॥ सिध्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी । बाल ब्रह्मचारी व्रत, पाल्यो तप धारी ॥ ॐ जय महावीर प्रभु।
आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी । माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ ॐ जय महावीर प्रभु।
जग में पाठ अहिंसा, आप ही विस्तारयो । हिंसा पाप मिटा कर, सुधर्म परिचारियो ॥ ॐ जय महावीर प्रभु।
अमर चंद को सपना, तुमने परभू दीना । मंदिर तीन शेखर का, निर्मित है कीना ॥ ॐ जय महावीर प्रभु।
जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी । एक ग्राम तिन्ह दीनो, सेवा हित यह भी ॥ ॐ जय महावीर प्रभु।
जल में भिन्न कमल जो, घर में बाल यति । राज पाठ सब त्यागे, ममता मोह हती ॥ ॐ जय महावीर प्रभु।
भूमंडल चांदनपुर, मंदिर मध्य लसे । शांत जिनिश्वर मूरत, दर्शन पाप लसे ॥ ॐ जय महावीर प्रभु।
जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवे । धन सुत्त सब कुछ पावे, संकट मिट जावे ॥ ॐ जय महावीर प्रभु।
निशदिन प्रभु मंदिर में, जगमग ज्योत जरे । हम सेवक चरणों में, आनंद मूँद भरे ॥ ॐ जय महावीर प्रभु।
ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु । कुण्डलपुर अवतारी, चांदनपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभु ॥
Shri Mahavir Swami Ji Aarti : Chandanpur
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो | कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो, ओम जय महावीर प्रभो।
सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, बाल ब्रह्मचारी व्रत, पाल्यो तपधारी | ओम जय महावीर प्रभो।
आतम ज्ञान विरागी, समदृष्टि धारी, माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी, ओम जय महावीर प्रभो।
जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो, हिंसा पाप मिटाकर, सुधर्म परचार्यो | ओम जय महावीर प्रभो।
इह विधि चाँदनपुर में, अतिशय दर्शायो, ग्वाल मनोरथ पूर्यो, दूध गाय पायो, ओम जय महावीर प्रभो।
अमरचंद को सपना, तुमने प्रभु दीना, मंदिर तीन शिखर का, निर्मित है कीना | ओम जय महावीर प्रभो।
जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी, एक ग्राम तिन दीनो, सेवा-हित यह भी, ओम जय महावीर प्रभो।
जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवै, होय मनोरथ-पूरण, संकट मिट जावै, ओम जय महावीर प्रभो।
निशि-दिन प्रभु मंदिर में, जगमग ज्योति जरे, हम सेवक चरणों में, आनंद-मोद धरें, ओम जय महावीर प्रभो।
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो | कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो, ॐ जय महावीर प्रभो, जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो, कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो, ओम जय महावीर प्रभो।
शीश नवा अरिहन्त को Sheesh Nava Arihant Ko सिद्धन करूँ प्रणाम Sidhan Karu Pranam उपाध्याय आचार्य का Upadhyay Acharya Ka ले सुखकारी नाम Le Sukhkari Naam सर्व साधु और सरस्वती Sarva Sadhu Aur Saraswati जिन मन्दिर सुखकार Jin Mandir Sukhkar महावीर भगवान को Mahavir Bhagwan Ko मन-मन्दिर में धार Mann Mandir Mein Dhaar