मेरो मन लाग्यो श्री वृन्दावन धाम

मेरो मन लाग्यो श्री वृन्दावन धाम

मेरो मन लाग्यो,
श्री वृंदावन धाम,
राधा-राधा रटते-रटते,
तन से निकले प्राण।
मेरो मन लाग्यो,
श्री वृंदावन धाम।।

यमुना जी का निर्मल पानी,
शीतल करत शरीर,
वंशी बजावत गावत कान्हा,
संग लियो बलवीर,
मोर मुकुट पीतांबर सोहे,
गल वैजयंती माल।
मेरो मन लाग्यो,
श्री वृंदावन धाम।।

वृंदावन के वृक्ष को प्यारे,
वृक्ष ना माने कोय,
डाल-डाल और पात-पात श्री,
राधे-राधे होय।
बृज की माटी माथे लगाकर,
मिल गए मुझको श्याम।
मेरो मन लाग्यो,
श्री वृंदावन धाम।।

राधा रमण मेरे श्री बाँके बिहारी,
राधा वल्लभ लाल,
युगल किशोर जू, मदन मोहन जू,
प्यारे गोपीनाथ।
रूप गोस्वामी प्रकट कियो जहाँ,
गोविंद रूप निधान,
वृंदावन के सप्त निधि को,
करते हैं हम प्रणाम।
मेरो मन लाग्यो,
श्री वृंदावन धाम।।

मेरो मन लाग्यो,
श्री वृंदावन धाम,
राधा-राधा रटते-रटते,
तन से निकले प्राण।
मेरो मन लाग्यो,
श्री वृंदावन धाम।।


Mero Man Lagyo Shri Vrindavan Dham !! मेरो मन लाग्यो श्री वृन्दावन धाम #vishnupriyaaviji #vrindavan

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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