भायलो हिंदी मीनिंग अर्थ मतलब Bhayalo Hindi Meaning Rajasthani Word Meaning
भायलो (Bhayalo) राजस्थानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ दोस्त, मित्र, सखा सहचर आदि होता है जिस आम बोलचाल की भाषा में बोला जाता है। पुरुष दोस्त को भायला, भायलो कहा जाता है वहीँ महिला दोस्त को भायली, एक महिला की दूसरी महिला दोस्त भायली कहलाती है।
- Bhayalo is a word of Rajasthani language, which means friend, companion etc. In the colloquial language it is spoken.
- भायलो/भायला Bhayalo/Bhayala : A person that you know and like (not a member of your family), and who likes you, one that is not hostile, a favored companion
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भायलो शब्द का अर्थ "दोस्त, मित्र, सखा सहचर" होता है। शाब्दिक रूप से अर्थ में भिन्नता आ सकती है. भायलो शब्द (राजस्थानी) का मतलब "दोस्त, मित्र, सखा सहचर" होता है. शाब्दिक रूप से अर्थ कुछ भिन्न हो सकता है. "Bhayalo" Means "friend, companion"
in English Language. Meaning can vary as the Regional Language. Remember that the meaning of the word is based on the characteristics of a word. You will also find below synonyms for "Bhayalo"
अतः इस प्रकार से आपने जाना की "भायलो"
एक अंग्रेजी भाषा का शब्द है जिसका वाक्य में प्रयोग के आधार पर विविध
प्रकार से उपयोग किया जाता है। "भायलो" शब्द के हिंदी भाषा में समानार्थी
शब्द (अर्थ/मीनिंग) दोस्त, मित्र, सखा सहचर आदि होते हैं। " भायलो" को अंग्रेजी में friend, companion कहते हैं। भायलो से सबंधित अन्य जानकारियां, जैसे की पर्यायवाची, विलोम शब्द, समानार्थी शब्द, वाक्य में प्रयोग आदि निचे दी गई हैं।
Bhayalo Rajasthani Word Hindi Meaning
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भायलो के उदाहरण Bhayalo Rajasthani Word Examples
भायलो राजस्थानी भाषा का शब्द है जिसके निम्न उदाहरण हैं, आइये इस शब्द को उदाहरण के माध्यम से समझते हैं।
अर तू कै छै आपां मंड जावां तो म्हूं तो म्हारा भायैला नै पूछ यां बना सँसू भायलो नै मंडू ।
भायलो मंडबा बेई प्राग्यो । जद कागलो बोल्यो तू म्हारी मान छ तो इंसू भायलो मत मंडे स्याल की जात दगाबाज छ ।
तू छै ये कुर्जा भायलो , तू छै घरम की भेण , एक सन्देशो ये बाई म्हारो ले उड़ो , ये म्हारी राज कुर्जा म्हारा पीव मिला दे ये ।
जद हरण बोल्यो अरे भाया स्वाल्या म्हारो भायलो तो नटग्यो के तू भायलो मत बरण ।
भायलो बोल्यो , “ काल सूपापां दौड़ भी लगासां । " मैं हां भरदी । दोनां पाछा फुर र बोधी - नागदेवतान हाथ जोड़ र धोक दी पर एक धोरिय पर
दरजी को बेटो भायलो भंवरको म्हारी धणने बरफीरो चाव भायलो थोड़ी म्हाँने ई ल्यांद्योजी अंगिया लेल्यो कबजा लेल्यो
कांई थारो भायलो गोपाल
हरि जी न जांचण् जावो जी,कांई थारो.....
विप्र सुदामा स्यूं तिय बोली,मीठे बचन रसाल कांई थारो.....
बे है थारा परम् सनेही, पढ़या एक चट साल
ओरां के पिया अन्न धन लिछमी,थे क्यूं फिरो कंगाल
कांई थारो....
विप्र सुदामा पहुंचे द्वारिका ,श्री कृष्ण के द्वार
सुने सुदामा मित्र हैं आये,दौड़े दीनदयाल
कांई थारो.....
चरण धोय चरनामृत लीन्हयो,रुक्मण देखे जात
तन्दुल ले हरि फाकण् लाग्या,रुक्मण पकड़यो हाथ
कांई थारो....
टूटी टपड़ी महल चीणा दियो,जड़ दिया हीरा लाल
परमब्रम्ह हरि शोकरहित आज,रोवे झर झर धार
कांई थारो.....
भायलो मंडबा बेई प्राग्यो । जद कागलो बोल्यो तू म्हारी मान छ तो इंसू भायलो मत मंडे स्याल की जात दगाबाज छ ।
तू छै ये कुर्जा भायलो , तू छै घरम की भेण , एक सन्देशो ये बाई म्हारो ले उड़ो , ये म्हारी राज कुर्जा म्हारा पीव मिला दे ये ।
जद हरण बोल्यो अरे भाया स्वाल्या म्हारो भायलो तो नटग्यो के तू भायलो मत बरण ।
भायलो बोल्यो , “ काल सूपापां दौड़ भी लगासां । " मैं हां भरदी । दोनां पाछा फुर र बोधी - नागदेवतान हाथ जोड़ र धोक दी पर एक धोरिय पर
दरजी को बेटो भायलो भंवरको म्हारी धणने बरफीरो चाव भायलो थोड़ी म्हाँने ई ल्यांद्योजी अंगिया लेल्यो कबजा लेल्यो
कांई थारो भायलो गोपाल
हरि जी न जांचण् जावो जी,कांई थारो.....
विप्र सुदामा स्यूं तिय बोली,मीठे बचन रसाल कांई थारो.....
बे है थारा परम् सनेही, पढ़या एक चट साल
ओरां के पिया अन्न धन लिछमी,थे क्यूं फिरो कंगाल
कांई थारो....
विप्र सुदामा पहुंचे द्वारिका ,श्री कृष्ण के द्वार
सुने सुदामा मित्र हैं आये,दौड़े दीनदयाल
कांई थारो.....
चरण धोय चरनामृत लीन्हयो,रुक्मण देखे जात
तन्दुल ले हरि फाकण् लाग्या,रुक्मण पकड़यो हाथ
कांई थारो....
टूटी टपड़ी महल चीणा दियो,जड़ दिया हीरा लाल
परमब्रम्ह हरि शोकरहित आज,रोवे झर झर धार
कांई थारो.....
भायला मीन न कोई मेख भायला । या करमाँ की रेख, भायला। चढ़ती जोबन पल मं ढळसी, आथूणी नै देख भायला। सभी भाग का लेख, भायला ।
स्यालर ऊंट अंक स्यालर ऊंट भायला बण्या छा । जब स्यालनै कई ऊंट सूखरबूजा खाबा चालां । जब व्हां सू चाल्या । माली की बाड़ी मैं गया ।
“ आ भायला ( मित्र ) आ " तेरी ही उडीक कर रहा था । " दोनों गले मिले । नागजी उसे भीतर ले गया । बरसाली में बोरी बिछाकर बिठाया ।
डूब्यो काळीधार , देस आपणो भायला ।। इक दूजे री टांग , चौराहे पर खींच रया । आखै कूवां भांग , पड़गी दीखे भायला ।।
भायला ! बाल म्हावली गैल कर ल्यॐ गवां की सैल । काचा काली माटी का घर , ज्या पर लीप'र गारो - गोबर । वारे पानी का छपरी पर ये कचन का म्हेल ।
मन नै लै ढाब , परनारी तज भायला ॥ हे मित्र , शरीर की प्राभा घटती है तथा बदनामी की कालिख उड़ती है ऐसे में अपने मन को रोक
सोनोको बेटो भायलो भंवरको कोई म्हारी धणन बरफोरो चाव भायला थोड़ी म्हांन ई मंगाद्योजी ।। मैंमद लेले रबड़ी ले घर जाग्रो म्हारा भायला
भायला , चाल म्हांवळी गैल , करा ल्याऊँ गावां को सैल । काचा , काळी माटी का घर , ज्यांपर लोप'र गारो - गोबर ; वारै पानी का छपरां परहोवै सोटां न्याय भायला ' में आज के गांवों की बदली हुई स्थिति में भी पशुबल पक्ष की प्रमुखता का अंकन स्पष्ट दिख जाता है ।बोज चमक चमकी कामण रा ज्यो न कटाछ देख पावे , तो थारा ई नैण भायला निहचै ही निषफल जावे ।।धरम भायला हुग्या । और सोना का नारेळ ज्यौ हाथ में छै दिया । चांदी की राखी बांध ली छे ।
स्यालर ऊंट अंक स्यालर ऊंट भायला बण्या छा । जब स्यालनै कई ऊंट सूखरबूजा खाबा चालां । जब व्हां सू चाल्या । माली की बाड़ी मैं गया ।
“ आ भायला ( मित्र ) आ " तेरी ही उडीक कर रहा था । " दोनों गले मिले । नागजी उसे भीतर ले गया । बरसाली में बोरी बिछाकर बिठाया ।
डूब्यो काळीधार , देस आपणो भायला ।। इक दूजे री टांग , चौराहे पर खींच रया । आखै कूवां भांग , पड़गी दीखे भायला ।।
भायला ! बाल म्हावली गैल कर ल्यॐ गवां की सैल । काचा काली माटी का घर , ज्या पर लीप'र गारो - गोबर । वारे पानी का छपरी पर ये कचन का म्हेल ।
मन नै लै ढाब , परनारी तज भायला ॥ हे मित्र , शरीर की प्राभा घटती है तथा बदनामी की कालिख उड़ती है ऐसे में अपने मन को रोक
सोनोको बेटो भायलो भंवरको कोई म्हारी धणन बरफोरो चाव भायला थोड़ी म्हांन ई मंगाद्योजी ।। मैंमद लेले रबड़ी ले घर जाग्रो म्हारा भायला
भायला , चाल म्हांवळी गैल , करा ल्याऊँ गावां को सैल । काचा , काळी माटी का घर , ज्यांपर लोप'र गारो - गोबर ; वारै पानी का छपरां परहोवै सोटां न्याय भायला ' में आज के गांवों की बदली हुई स्थिति में भी पशुबल पक्ष की प्रमुखता का अंकन स्पष्ट दिख जाता है ।बोज चमक चमकी कामण रा ज्यो न कटाछ देख पावे , तो थारा ई नैण भायला निहचै ही निषफल जावे ।।धरम भायला हुग्या । और सोना का नारेळ ज्यौ हाथ में छै दिया । चांदी की राखी बांध ली छे ।
अन्तरा मालिड़ा री बेटी भायली जी कोई , दो मण फुलड़ा चढ़ावे , ओ भैरू जी बागाँ में । कुम्हारां री बेटी भायली जी कोई , दो वड़ कलश चढ़ावे
बोती ( ऊँट की बच्ची ) भायली ( मित्र ) आदि , नीकारान्त ऊँटनी , मोरनी मादि , णीकारान्त-जिठाणी , मुगलाणी प्रादि होते हैं ।
सेठाणी और कूँजड़ी : एक सेठानी और एक कुँजड़ी आपस में भायली थी । कुँजड़ी जब भी फल बेचने जाती , सेठानी के यहाँ अवश्य घंटे दो घंटे के लिए
सोहर गीत ही जाते हैं जिनका वर्ण्य - विषय भी अन्न लोकगीतों की तरह ही होता हैऐरी तेरे बालम की अटरिया जच्चा , नसनी धर ले भायली ।
भायेली मेरे आयौ री कन्हैया नट बनिकै , सखी री मेरे आयौ री ०० ॥ हरे राम अधर कला खाय गयौ री सामरौ , बाने चित्त चुरायौ हँसि हँसि कै ।
बोती ( ऊँट की बच्ची ) भायली ( मित्र ) आदि , नीकारान्त ऊँटनी , मोरनी मादि , णीकारान्त-जिठाणी , मुगलाणी प्रादि होते हैं ।
सेठाणी और कूँजड़ी : एक सेठानी और एक कुँजड़ी आपस में भायली थी । कुँजड़ी जब भी फल बेचने जाती , सेठानी के यहाँ अवश्य घंटे दो घंटे के लिए
सोहर गीत ही जाते हैं जिनका वर्ण्य - विषय भी अन्न लोकगीतों की तरह ही होता हैऐरी तेरे बालम की अटरिया जच्चा , नसनी धर ले भायली ।
भायेली मेरे आयौ री कन्हैया नट बनिकै , सखी री मेरे आयौ री ०० ॥ हरे राम अधर कला खाय गयौ री सामरौ , बाने चित्त चुरायौ हँसि हँसि कै ।
अतः इस प्रकार से आपने जाना की "भायलो" एक राजस्थानी भाषा का शब्द है जिसका वाक्य में प्रयोग के आधार पर विविध प्रकार से बोला जाता है। "भायलो" शब्द के हिंदी भाषा में समानार्थी शब्द (अर्थ/मीनिंग) दोस्त, मित्र, सखा सहचर आदि होते हैं। " भायलो" को अंग्रेजी में friend, companion कहते हैं। भायलो से सबंधित अन्य जानकारियां निचे दी गई हैं।