माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में भजन
माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में माता रानी भजन
माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में,
तू चुप कोना बैसल छ गे,
हे कोना बैसल छ गे,
माँ तू कोना बैसल छ गे।
दर दर स भटकल माँ गे,
शरण में तोरे आयल छी,
दृग मूनि बैसल छ गे,
तू दृग मूनि बैसल छ गे,
माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में,
तू चुप कोना बैसल छ गे।
आँख के लोर है जननी,
तोरे छोड़ दोसर के पोछतै,
बीच भँवर फँसल छी गे से,
बीच भँवर फँसल छी गे,
माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में,
तू चुप कोना बैसल छ गे।
जनम मरण स मुक्ति,
वर तू माँ हमरा द दे,
दर्शन ल बेकल छी गे,
हम दर्शन ल बेकल छी गे,
माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में,
तू चुप कोना बैसल छ गे।
माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में,
तू चुप कोना बैसल छ गे,
हे कोना बैसल छ गे,
माँ तू कोना बैसल छ गे।
तू चुप कोना बैसल छ गे,
हे कोना बैसल छ गे,
माँ तू कोना बैसल छ गे।
दर दर स भटकल माँ गे,
शरण में तोरे आयल छी,
दृग मूनि बैसल छ गे,
तू दृग मूनि बैसल छ गे,
माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में,
तू चुप कोना बैसल छ गे।
आँख के लोर है जननी,
तोरे छोड़ दोसर के पोछतै,
बीच भँवर फँसल छी गे से,
बीच भँवर फँसल छी गे,
माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में,
तू चुप कोना बैसल छ गे।
जनम मरण स मुक्ति,
वर तू माँ हमरा द दे,
दर्शन ल बेकल छी गे,
हम दर्शन ल बेकल छी गे,
माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में,
तू चुप कोना बैसल छ गे।
माँ गे पड़लौ पुत्र विपत्ति में,
तू चुप कोना बैसल छ गे,
हे कोना बैसल छ गे,
माँ तू कोना बैसल छ गे।
तु चुप कियै बैसल छै गे
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Author - Saroj Jangir
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