मैं तप की महिमा गाऊं जयकार लगाऊं

मैं तप की महिमा गाऊं जयकार लगाऊं

(मुखड़ा)
मैं तप की महिमा गाऊं,
जयकार लगाऊं,
तपस्वी अमर रहो,
मैं घर को सजाऊं,
मैं पलके बिछाऊं,
चरण जहां तपस्वी रखे,
मैं मोतियों से वधाऊं,
बलिहारी जाऊं,
तपस्वी अमर रहो।।

(अंतरा)
आहार के बने जो त्यागी,
उपवास के बने वो रागी,
तप की ज्योत दिल में जागी,
ऐसे तपस्वी बड़भागी,
तप की खुशबू से,
मन ये खिले,
है तप जहां पे,
है पुण्य साथ चलता,
वहां पे जो भी तप को धारे,
मैं उनको सर झुकाऊं,
तपस्वी अमर रहो।।

(अंतरा)
क्या लिखूं मैं, कैसे सुनाऊं,
तपस्या की कहानियां,
तप किया स्वयं प्रभु ने,
है संतो की जुबानियां,
दिलबर कहे,
कृषिव की जुबां,
के तपस्या से बढ़कर,
न कोई जहां में,
तपस्या हो हर घर,
ये भावना में भाऊं,
तपस्वी अमर रहो।।

(पुनरावृति)
मैं तप की महिमा गाऊं,
जयकार लगाऊं,
तपस्वी अमर रहो,
मैं घर को सजाऊं,
मैं पलके बिछाऊं,
चरण जहां तपस्वी रखे,
मैं मोतियों से वधाऊं,
बलिहारी जाऊं,
तपस्वी अमर रहो।।


तपस्वी अमर रहो | Tapasvi Amar Raho | Krishiv Bagrecha | Tukliya Family Bangalore

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Title: तपस्वी अमर रहो
Singer: Krishiv Bagrecha
Lyrics: Dilip Dilbar
Music & Mixing: Akhil Purohit
VideoGraphy & Editor by: The Third Eye Photography, Rajsamand
Poster: Sumit Bhandari
 
तपस्वी की महिमा ऐसी है, जो मन को पवित्रता की सुगंध से भर देती है। तप का मार्ग अपनाने वाला वह बड़भागी है, जिसके हृदय में आत्मसंयम की ज्योति जलती है। जैसे कोई दीपक अंधेरे में भी रास्ता दिखाए, वैसे ही तपस्वी का जीवन पुण्य का आलोक बिखेरता है। उसकी उपस्थिति में घर-आँगन मोतियों-सा सज जाता है, और मन श्रद्धा से झुक जाता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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