दया करो अजमालजी रा कंवरा भक्त जाण

दया करो अजमालजी रा कंवरा भक्त जाण

दया करो अजमालजी रा कंवरा,
भक्त जाण सुणजे हेलो।।

बोयतो अर्ज कर समद्रा,
बो ही जाण भक्त पहलो,
चौपड़ रमता भुजा पसारी,
डूबती नाव के दे दियो टेलो।।

दादा रणसी, पिता अजमाल जी,
मात मेणादे की गोद खेल्यो,
बालीनाथ जी का चेला कहिज्यो,
राक्षस मार कर दियो गेलो।।

मंडियों ब्याव चाव तंवरा क,
बाई न ल्यावण, रतना न भेज्यो,
राईका न पकड़ कैद में राल्यो,
बाई बदवंत पाड़ियो हेलो।।

परच्या देवो, पीर कहावो,
जाय पोकरण गेंद खेलो,
भीड़ पड़ गई है बाई सुगना म,
दोय चरण पुंगल मेलो।।

काकड़ बंधीयोडा पिरजी पधारिया,
हाथ खडंग ले लियो भालो,
देख्या शहर, हुया सब राजी,
रतना न दान, निकलंक देलो।।

कलयुग कठिन, पाप का पोहरा,
सांचा क धणी संग रहलो,
हरि के शरण, भाटी हरजी बोल्या,
पछ मालिक म्हारी सुण ले लो।।

दया करो अजमालजी रा कंवरा,
भक्त जाण सुणजे हेलो।।


दया करो अजमाल जी कंवरा भगत जाण सूण ले हैलो। गायक रामश्वरूप मनाना

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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