सिद्ध योगी मेरे पागल पीर का रुक्का सै हरियाणे
सिद्ध योगी मेरे पागल पीर का रुक्का सै हरियाणे में
मोटी मोटी आंख गज़ब की,बैठ्या भगवे बाणे में,
सिद्ध योगी मेरे पागल पीर का,
रुक्का सै हरियाणे में।
दूर दूर ते भगत हो बाबा,
तेरे दर पे आवे सै,
हलवा पूरी खीर खांड का,
तेरा भोग लगावे सै,
प्रसाद चढ़ावे शक्कर का,
मन आनंद आज्या खाने में,
सिद्ध योगी मेरे पागल पीर का,
रुक्का सै हरियाणे में।
सबकी लाज बचाने आळा,
तू ही एक सहारा सै,
भगत तन्ने लागे से प्यारे,
तू भगतां का प्यारा सै,
थारी दया होज्या ते बाबा,
खिल ज्या चमन बिराणे में,
सिद्ध योगी मेरे पागल पीर का,
रुक्का सै हरियाणे में।
तेरे धाम की हो मेरे बाबा,
के के करू बढ़ाई हो,
जो भी आवे सच्चे मन ते,
काटे विपदा सारी हो,
घनी गजब की करामात से,
बाबा तेरे ठिकाने पे,
सिद्ध योगी मेरे पागल पीर का,
रुक्का सै हरियाणे में।
टेकचंद पे हो मेरे बाबा,
दया दृष्टी हो थारी,
मोहित शर्मा दर पे पड़ा सै,
सुनले ने विनती म्हारी,
तेरे नाम का भजन सुनाके,
आनंद आजा गाने में,
सिद्ध योगी मेरे पागल पीर का,
रुक्का सै हरियाणे में।
मोटी मोटी आंख गज़ब की,
बैठ्या भगवे बाणे में,
सिद्ध योगी मेरे पागल पीर का,
रुक्का सै हरियाणे में।
भजन श्रेणी : विविध भजन/ सोंग हिंदी Bhajan/ Song Lyrics
महिमा पागल पीर की//MAHIMA PAGAL PEER KI//MOHIT SHARMA TEK CHAND // BHARDWAJ BEET RECORD