आजा श्यामा बांसुरी बजान वालेया नंदलाला

आजा श्यामा बांसुरी बजान वालेया नंदलाला

आजा श्यामा, बांसुरी बजान वालेया नंदलाला,
नंदलाला मेरे गोपाला,
आजा श्यामा, बांसुरी बजान वालेया।।

पिता ने प्रह्लाद को पहाड़ों से फेंका,
सच्चे प्रेम ने उसे फिर से जगा दिया,
फूलों वाली सेज पर बिछान वालेया नंदलाला,
नंदलाला मेरे गोपाला,
आजा श्यामा, बांसुरी बजान वालेया।।

द्रौपदी ने सभा में पुकार लगाई,
द्वारका में बैठे सब बातें सुन आई,
साड़ियों के ढेर लगाने वालेया नंदलाला,
नंदलाला मेरे गोपाला,
आजा श्यामा, बांसुरी बजान वालेया।।

मिलने को तेरा यार सुदामा आया था,
तूने भी श्यामा झोपड़ी को महल बनाया था,
यारों से यारी निभाने वालेया नंदलाला,
नंदलाला मेरे गोपाला,
आजा श्यामा, बांसुरी बजान वालेया।।

रथ को चलाने वाला रथबान था तू,
हमें भी तो चाहिए वैसा भगवान तू,
सारथी का रूप निभाने वालेया नंदलाला,
नंदलाला मेरे गोपाला,
आजा श्यामा, बांसुरी बजान वालेया।।


कृष्ण भगतो के लिए बहुत ही सुन्दर भजन आजा शामा बंसरी वजान वालेया नंदलाला

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भक्त का मन अपने आराध्य कृष्ण के प्रति गहरे प्रेम, श्रद्धा और विश्वास से भर जाता है। वह अपने जीवन की हर कठिनाई, हर संकट और हर अकेलेपन में कृष्ण को पुकारता है, क्योंकि उसे विश्वास है कि जैसे कृष्ण ने प्रह्लाद, द्रौपदी, सुदामा और अर्जुन के जीवन में आकर उन्हें सहारा दिया, वैसे ही वे आज भी अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। भक्त के लिए कृष्ण केवल एक देवता नहीं, बल्कि सच्चे मित्र, रक्षक और मार्गदर्शक हैं, जिनकी उपस्थिति जीवन को सुरक्षा, प्रेम और आनंद से भर देती है। यह भाव भक्त को आश्वस्त करता है कि सच्ची भक्ति और समर्पण के साथ पुकारने पर कृष्ण अवश्य आते हैं, और अपने भक्त की नैया पार लगाते हैं। 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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