अमरनाथ दी अमर ज्योत नूं लख लख

अमरनाथ दी अमर ज्योत नूं लख लख शीश झुकावां

अमरनाथ दी अमर ज्योत नूं,
लख लख शीश झुकावां,
अमरनाथ दी अमर ज्योत नूं,
लख लख सीस झुकावां,
बाबा बालक नाथ दी भगतों,
कथा मैं अमर सुणावां।

इक दिन माता पार्वती,
कैलाश पति नू केहंदी,
मैन्नुं अमर कथा सुनाओ,
हठ सी कर कर बेहंदी,
जे ना कथा सुनाई स्वामी,
चरणां विच मर जावा,
बाबा बालक नाथ दी भगतों,
कथा मैं अमर सुणावां।

लख मनाया मन्नी ना गौरा,
भोले कथा सुनाई,
सुन के कथा सी पार्वती नू,
गूढी निंदर आई,
अमर हो गया सुन के पंछी,
उड़िया विच हवावां,
बाबा बालक नाथ दी भगतों,
कथा मैं अमर सुणावां।

जूनागढ़ दी पावन धरती,
जन्म धार सी आये,
पिता नारायण, माँ लक्ष्मी दे,
सुत्ते भाग जगाये,
करके दर्शन धन्य हो गईया,
रत्नों वरगिया मावाँ,
बाबा बालक नाथ दी भगतों,
कथा मैं अमर सुणावां।

विच हिमाचल,
शाहतलईया, जोगी डेरे लाये,
मारे मेहने माँ रत्नों ने,
कोतक नाथ दिखाए,
कैलाश नाथ कहे,
सिद्ध जोगी दे, मैं बलिहारे जावा,
बाबा बालक नाथ दी भगतों,
कथा मैं अमर सुणावां।

अमरनाथ दी अमर ज्योत नूं,
लख लख शीश झुकावां,
अमरनाथ दी अमर ज्योत नूं,
लख लख सीस झुकावां,
बाबा बालक नाथ दी भगतों,
कथा मैं अमर सुणावां।


भजन श्रेणी : बाबा बालक नाथ भजन (Read More : Baba Balak Nath Bhajan)



Amarnath Di Amar Jyot-Baba Balak Nath Bhajan

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