मैं जोगनिया साईं राम की साईं भजन
मैं जोगनिया साईं राम की साईं भजन
फिक्र नहीं है सुबह-ओ-शाम की,
जपू मैं माला साईं राम की,
मैं जोगनिया साईं राम की।।
साईं संध्या में जब आऊँ,
सबसे पहले जोत जगाऊँ,
नतमस्तक फिर मैं हो जाऊँ,
साईं चरणों में फूल चढ़ाऊँ।
चिंता नहीं है किसी काम की,
जपू मैं माला साईं राम की,
मैं जोगनिया साईं राम की।।
साईं की धुन में रम जाती हूँ,
साईं आरती करवाती हूँ,
मन की मुरादें जब पाती हूँ,
साईं संध्या करवाती हूँ।
लगन है मुझको शिरडी धाम की,
जपू मैं माला साईं राम की,
मैं जोगनिया साईं राम की।।
साईं लगन में लग जाती हूँ,
नीर नयन से बरसाती हूँ,
शिरडी जब भी मैं जाती हूँ,
साईं का दर्शन कर आती हूँ।
छवि है जिनमें राधे श्याम की,
जपू मैं माला साईं राम की,
मैं जोगनिया साईं राम की।।
साईं का रंग ऐसा भाया,
"सोनू" ने तन-मन को रंगाया,
बाबा ने मुझको अपना बनाके,
मेरे मन का फूल खिलाया।
याद करूँ मैं मुक्ति धाम की,
जपू मैं माला साईं राम की,
मैं जोगनिया साईं राम की।।
जपू मैं माला साईं राम की,
मैं जोगनिया साईं राम की।।
साईं संध्या में जब आऊँ,
सबसे पहले जोत जगाऊँ,
नतमस्तक फिर मैं हो जाऊँ,
साईं चरणों में फूल चढ़ाऊँ।
चिंता नहीं है किसी काम की,
जपू मैं माला साईं राम की,
मैं जोगनिया साईं राम की।।
साईं की धुन में रम जाती हूँ,
साईं आरती करवाती हूँ,
मन की मुरादें जब पाती हूँ,
साईं संध्या करवाती हूँ।
लगन है मुझको शिरडी धाम की,
जपू मैं माला साईं राम की,
मैं जोगनिया साईं राम की।।
साईं लगन में लग जाती हूँ,
नीर नयन से बरसाती हूँ,
शिरडी जब भी मैं जाती हूँ,
साईं का दर्शन कर आती हूँ।
छवि है जिनमें राधे श्याम की,
जपू मैं माला साईं राम की,
मैं जोगनिया साईं राम की।।
साईं का रंग ऐसा भाया,
"सोनू" ने तन-मन को रंगाया,
बाबा ने मुझको अपना बनाके,
मेरे मन का फूल खिलाया।
याद करूँ मैं मुक्ति धाम की,
जपू मैं माला साईं राम की,
मैं जोगनिया साईं राम की।।
Joganiya Sai Ram Ki
भक्त साईं की आरती, संध्या, और सेवा में लीन होकर उनकी महिमा गाती है। शिरडी धाम के दर्शन की लालसा, साईं चरणों में शीश नवाने की इच्छा, और साईं की कृपा से जीवन का सुखद अनुभव इस भजन में दर्शाया गया है। भक्त कहती है कि उसे संसार की कोई चिंता नहीं, क्योंकि वह साईं के प्रेम में रंग चुकी है।