मेरे सतगुरु तेरी नौकरी, सबसे बढ़िया है, सबसे खरी, खुश नसीबी का जब गुल खिला, तब कहीं जा के ये दर मिला, हो गई अब तो रहमत तेरी, सबसे बढ़िया है, सबसे खरी, तेरे दरबार की हाज़री, सबसे बढ़िया है सबसे खरी, मेरे सतगुरु तेरी नौकरी, सबसे बढ़िया है, सबसे खरी।
मैं नहीं था किसी काम का, ले सहारा तेरे नाम का,
बन गई अब तो बिगड़ी मेरी, सबसे बढ़िया है सबसे खरी, तेरे दरबार की हाज़री, सबसे बढ़िया है सबसे खरी, मेरे सतगुरु तेरी नौकरी, सबसे बढ़िया है, सबसे खरी।
जब से तेरा गुलाम हो गया, तबसे मेरा भी नाम हो गया, वार्ना औकात क्या थी मेरी, सबसे बढ़िया है सबसे खरी, तेरे दरबार की हाज़री, सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
Guru Purnima Bhajan
मेरे सतगुरु तेरी नौकरी, सबसे बढ़िया है, सबसे खरी।
मेरी तनखाह भी कुछ काम नहीं, कुछ मिले न मिले गम नहीं, ऐसी होगी कहाँ दूसरी, सबसे बढ़िया सबसे खरी, तेरे दरबार की हाज़री, सबसे बढ़िया है सबसे खरी, मेरे सतगुरु तेरी नौकरी, सबसे बढ़िया है, सबसे खरी।
इक बिजोगी दीवाना हूँ मैं,
ख़ाक चरणों की चाहता हूँ मैं, आखिर इल्तजा है मेरी, सबसे बढ़िया है सबसे खरी, तेरे दरबार की हाज़री, सबसे बढ़िया है सबसे खरी, मेरे सतगुरु तेरी नौकरी, सबसे बढ़िया है, सबसे खरी।