चलो मन वृन्दावन की ओर, चलो मन वृन्दावन की ओर, प्रेम का रस जहाँ छलके है, कृष्ण नाम से भोर, चलो मन वृन्दावन की ओर।
भक्ति की रीत जहाँ पल पल है, प्रेम प्रीत की डोर, राधे राधे जपते जपते, दिख जाए चित्त चोर, चलो मन वृन्दावन की ओर।
ऊषा की लाली के संग जहां, कृष्णा कथा रस बरसे, राधा रास बिहारी के मंदिर, जाते ही मनवा हरषे, बृज की माटी चंदन जैसी, मन हो जावे विभोर, चलो मन वृन्दावन की ओर।
वन उपवन में कृष्णा की छाया, शीतल मन हो जाये, मन भी हो जाए अति पावन, कृष्णा कृपा जो पाये, नारायण अब शरण तुम्हारे, कृपा करो इस ओर, चलो मन वृन्दावन की ओर।
चलो मन वृन्दावन की ओर, चलो मन वृन्दावन की ओर, प्रेम का रस जहाँ छलके है, कृष्ण नाम से भोर, चलो मन वृन्दावन की ओर।