सारे जग का है वो रखवाला शिव भजन
हाँ मेरा भोला है जग से निराला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला,
सारे जग का है वो रखवाला,
के सारे जग का है वो रखवाला,
हाँ मेरा भोला है जग से निराला।
बम भोला, बम भोला, बम भोला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला।
एक चोर खड़ा शिव मंदिर में,
पाप था उसके अंदर में,
घंटा आया उसे नजर,
जो था शिव जी के ऊपर,
लेकिन था काफी ऊँचा,
उस तक वो कैसे पहुँचे,
कैसा लालच ने चक्कर में डाला,
हाँ मेरा भोला है जग से निराला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला।
उपाय समझ जब आता है,
चोर खड़ा मुस्काता है,
शिव मूरत पर वो चढ़कर,
हाथ लगाया घंटे पर,
घंटा घन घन बोल उठा,
चोर का मनवा डोल उठा,
वहां प्रगट हुआ डमरुँ वाला,
हाँ मेरा भोला है जग से निराला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला।
मांग मांग बोले शंकर,
ले ले तू मन चाहा वर,
चोर खड़ा काँपे थर थर,
देख रहा इधर उधर,
मैं तो चोर उचक्का हूँ,
झूठा कपटी पक्का हूँ,
बाबा सचमुच है तू भोला भाला,
हाँ मेरा भोला है जग से निराला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला।
कोई मेवा मोदक लता है,
कोई चन्दन मुझ पे चढाता है,
पर तूने तो अपना तन,
कर दिया मुझको अर्पण,
तू भक्त है मेरा चोर नहीं,
तेरे जैसा और नहीं,
झट बोले यूँ दीन दयाला,
हाँ मेरा भोला है जग से निराला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला।
सारे जग का है वो रखवाला,
के सारे जग का है वो रखवाला,
हाँ मेरा भोला है जग से निराला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला,
सारे जग का है वो रखवाला,
के सारे जग का है वो रखवाला,
हाँ मेरा भोला है जग से निराला।
बम भोला, बम भोला, बम भोला,
बम भोला, बम भोला, बम भोला।
भजन श्रेणी : शिव भजन ( Shiv Bhajan)
Sare Jag Ka (Live) By Jaya Kishori Ji
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Sci Bhajan Sare Jag Ka By Jaya Kishori Ji
शिव का स्वरूप इस कथा में उस असीम करुणा का प्रतीक बनकर उभरता है जो पाप-पुण्य की सीमाओं से परे है। उनका दरबार ऐसा है जहाँ कोई भेद नहीं—न साधु, न चोर; जो भी सच्चे भाव से उनके समक्ष आता है, उसे वे अपने आलिंगन में ले लेते हैं। यहाँ यह प्रसंग मनुष्य की आत्मा की यात्रा का रूपक है—जिसने अज्ञान के अंधेरे में भटकते हुए भी एक क्षण के लिए ईश्वर-स्मरण किया, और उसी स्पंदन में भीतर की जड़ता टूट गई। उस घनघनाते घंटे ने केवल एक मंदिर नहीं, एक चेतना को जगा दिया। वहीं शिव प्रकट हुए, डमरू की नाद के साथ—यह संकेत है कि भक्ति दिखावे की वस्तु नहीं, वह बस एक सच्चा भाव है जो किसी भी रूप में उन्हें छू लेता है।
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