शंकर चौड़ा रे सिंगार माई कर रही सोला रे भजन

शंकर चौड़ा रे सिंगार माई कर रही सोला रे भजन

(मुखड़ा)
शंकर चौड़ा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे।।

(अंतरा 1)
माथे उनके बिंदिया सोहे,
टिकली की बलिहारी राम,
मांग में सिंदूर सजाए,
माँ सजी दुलारी राम,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौड़ा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे।।

(अंतरा 2)
कान में उनके कुण्डल सोहे,
नथनी की बलिहारी राम,
गले में हार सुशोभित,
रूप है मनहारी राम,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौड़ा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे।।

(अंतरा 3)
हाथों में कंगना शोभे,
चूड़ी की बलिहारी राम,
हाथ में मेहंदी सजाए,
करें कृपा भारी राम,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौड़ा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे।।

(अंतरा 4)
कमर पे करधन सोहे,
झूलों की बलिहारी राम,
कमर में कमल खिलाए,
भक्तन पर वारी राम,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौड़ा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे।।

(अंतरा 5)
पाँव में पायल सोहे,
बिछिया की बलिहारी राम,
महावर रचाए चरणों में,
प्यारी माँ हमारी राम,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौड़ा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे।।

(अंतरा 6)
अंग में चोला सोहे,
घागरा की बलिहारी राम,
लाल रंग चुनरी ओढ़े,
जग में उजियारी राम,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौड़ा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे।।
 


SHANKAR CHAURA RE MAHAMAI KAR RAHI - शंकर चौरा रे महामाई कर रही - SHAHNAZ AKHTAR
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