दादी इतनो सो कर द्यो बेटी के सिर पे थे हाथ जरा धर द्यो
(मुखड़ा)
दादी इतनो सो कर द्यो,
बेटी के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
(अंतरा 1)
सेवा में ले लीजो,
मन्ने ऐसो ही घर द्यो,
जिमे मंदिर हो थारो,
पूजा के स्वर भर द्यो,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
(अंतरा 2)
सासु होवे श्याणी,
सुसरो होवे ज्ञानी,
जो पग पूजे थारा,
संस्कार उर धर द्यो,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
(अंतरा 3)
थाने देख के मैं जागु,
थाने देख के ही सोऊँ,
जठे ज्योत जगे थारी,
ऐसो ही घर द्यो,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
(अंतरा 4)
मन की कह पाऊं,
थासु बोलूँ बतलाऊं,
थारी ‘स्वाति’ के मन की,
‘हर्ष’ कवे कर द्यो,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
(समाप्ति)
दादी इतनो सो कर द्यो,
बेटी के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
Dadi itno laad kare bhajan by vikash sharma