अनमोल तेरा जीवन यूँ ही गंवा रहा है

अनमोल तेरा जीवन यूँ ही गंवा रहा है

अनमोल तेरा जीवन,
यूँ ही गंवा रहा है,
किस ओर तेरी मंजिल,
किस ओर जा रहा है,
अनमोल तेरा जीवन,
यूँ ही गंवा रहा है।

सपनों की नींद में ही,
यह रात ढ़ल ना जाये,
पल भर का क्या भरोसा,
कहीं जान निकल ना जाये,
गिनती की है ये साँसे,
यूँ ही लुटा रहा है,
किस ओर तेरी मंज़िल,
किस ओर जा रहा है,
अनमोल तेरा जीवन,
यूँ ही गंवा रहा है।

जायेगा जब यहाँ से,
कोई ना साथ देगा,
इस हाथ जो दिया है,
उस हाथ जा के लेगा,
कर्मों की है ये खेती,
फल आज पा रहा है,
किस ओर तेरी मंज़िल,
किस ओर जा रहा है,
अनमोल तेरा जीवन,
यूँ ही गंवा रहा है।

ममता के बन्धनों ने,
क्यों आज तुझको घेरा,
सुख में सभी है साथी,
कोई नहीं है तेरा,
तेरा ही मोह तुझको,
कब से रुला रहा है,
किस ओर तेरी मंज़िल,
किस ओर जा रहा है,
अनमोल तेरा जीवन,
यूँ ही गंवा रहा है।

जब तक है भेद मन में,
भगवान से जुदा है,
खोलो जो दिल का दर्पण,
इस घर में ही ख़ुदा है,
सुख रूप हो के भी तू,
दुख आज पा रहा है,
किस ओर तेरी मंज़िल,
किस ओर जा रहा है,
अनमोल तेरा जीवन,
यूँ ही गंवा रहा है।

अनमोल तेरा जीवन,
यूँ ही गंवा रहा है,
किस और तेरी मंजिल,
किस ओर जा रहा है,
अनमोल तेरा जीवन,
यूँ ही गंवा रहा है।

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