ढल गई सारी उमरिया बुरे हाल हो गये

ढल गई सारी उमरिया बुरे हाल हो गये

ढल गई सारी उमरिया,
सफ़ेद बाल हो गये,
खो गई मुखड़े की शोभा,
बुरे हाल हो गए,
ढल गई सारी उमरिया...।

तूने नहीं माना,
गुरु का समझाना,
की फिरता रहा मस्ताना,
मोह माया में तू,
रहा लिपटाना,
जग में आके हुआ,
जग का दीवाना,
फ़सके विषयों में तेरे,
ये क्या हाल हो गये,
खो गई मुखड़े की शोभा,
बुरे हाल हो गए,
ढल गई सारी उमरिया...।

दान किया ना,
तूने पुन्य कमाया,
ना ही राम के गुण तूने गाया,
ना ही तीरथ वरत किये कुछ तूने,
ना ही मंदिर गया प्रभु के पद छूने,
पूजा अर्चना बिना,
तेरे कई साल खो गये,
पूजा अर्चना बिना,
तेरे कई साल खो गये,
खो गई मुखड़े की शोभा,
बुरे हाल हो गए,
ढल गई सारी उमरिया...।

अब भी गाले प्रभु गुण प्यारे,
ना व्यर्थ समय गवां रे,
करदे करदे हरि को,
सब कुछ अर्पण,
तन मन धन और,
ये अपना सारा जीवन,
राजेन्द्र हरि बिन ये क्षण,
जी का जंजाल हो गये,
खो गई मुखड़े की शोभा,
बुरे हाल हो गए,
ढल गई सारी उमरिया...।

ढल गई सारी उमरिया,
सफ़ेद बाल हो गये,
खो गई मुखड़े की शोभा,
बुरे हाल हो गए,
ढल गई सारी उमरिया...।

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ढल गई सारी उमरिया बुरे हाल हो गये by rajendra prasad soni
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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