भगवान श्री पद्मपभु जी जैन धर्म के छठें तीर्थंकर हैं। भगवान श्री पदम प्रभु जी का जन्म कौशांबी नगर के इक्ष्वाकु वंश में हुआ था। भगवान श्री पद्मप्रभु जी का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को चित्रा नक्षत्र में हुआ था। भगवान श्री पद्मप्रभु जी के पिता का नाम राजा धरणराज और माता का नाम सुसीमा देवी था। भगवान श्री पद्मप्रभु जी के शरीर का वर्ण लाल था। भगवान श्री पद्मप्रभु जी का प्रतीक चिन्ह कमल है। भगवान श्री पद्मप्रभु जी को मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ। भगवान श्री पद्म प्रभु जी का चालीसा पाठ करने से सभी दुख दूर होते हैं। अंधे को आंखें, गूंगे को बोलना और लंगड़े को चलना भी आ जाता है अथार्त सभी रोग दोष दूर हो जाते हैं और सभी सुखों की प्राप्ति होती है। भगवान पद्म प्रभु जी के चालीसा पाठ से सभी सुख सुविधाएँ प्राप्त होती हैं। भगवान पद्म प्रभु जी की कृपा से जीवन का अंधकार दूर होता है और जीवन में आशाओं का संचार होता है। भगवान श्री पद्म प्रभु चालीसा के पाठ के पश्चात भगवान श्री पद्म प्रभु की आरती भी करें।
भगवान श्री पद्म प्रभु जी की
जय पद्म प्रभु देवा, स्वामी जय पद्म प्रभु देवा, जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा। तुम बिन कौन जगत में मेरा, पार करो देवा,
जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा। तुम हो अगम अगोचर, स्वामी हम हैं अज्ञानी, स्वामी हम हैं अज्ञानी, अपरम्पार तुम्हारी महिमा, काहू ना जानी। जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा। तुम बिन कौन जगत में मेरा, पार करो देवा, जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा।
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विघ्न निवारो संकट टारो, हम आये शरणा, स्वामी हम आये शरणा, कुमति हटा सुमति दीज्यो, कर जोड़ पड़े चरणा। जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा। तुम बिन कौन जगत में मेरा, पार करो देवा, जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा। पांव पड़े को पार लगाया, सुख सम्पति दाता,
स्वामी सुख सम्पति दाता, श्रीपाल का कष्ट हटाकर, सुवर्ण तन कीना। जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा। तुम बिन कौन जगत में मेरा, पार करो देवा, जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा।