कथा सुनाऊँ शीशदानी की, सुनों लगा कर ध्यान, कल्याणी वरदानी, बोलो जय जय बाबा श्याम, कल्याणी वरदानी, बोलो जय जय बाबा श्याम।
बर्बरीक के बालपन की, कथा है ये उनके जीवन की, पूज्य मौरवी उनकी माता, बनी पुत्र की भाग्य विधाता, बर्बरीक था बाल्य काल था, पुष्प अभी था सोलह साल का, ज्ञानवान बलवान बड़ा था, शक्ति का वरदान मिला था, कठिन तपस्या और भक्ति से, मिली थी शक्ति आदि शक्ति से, दिव्य धनुष वरदान में पाया,
तीन बाण तरकश में आया, नाम वीर बलधारी पाये, तीन बाण धारी कहलाये, पावन शीतल निर्मल हृदय, जरा भी नहीं अभिमान, कल्याणी वरदानी, बोलो जय जय बाबा श्याम, कल्याणी वरदानी, बोलो जय जय बाबा श्याम।
युद्ध छिड़ा था महाभारत का, राजनीती का और ताकत का, कूट निति से कूट निति की, राजनीती से राजनीती की, गदा के आगे थे गदा धारी, खड़े धनुष ले तरकश धारी दोनों तरफ ही खड़ी थी सेना, काम यही था लड़ना मरना,
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सुनी युद्ध की बर्बरीक ने, महा युद्ध की बर्बरीक ने, ईच्छा जागी बालक मन में, महा युद्ध की इच्छा जागी, महा युद्ध देखूंगा रण में, पास वो माता के जाते हैं, जो दिल में था बतलाते हैं, आज्ञा दो माता देखूँ, महाभारत संग्राम, कल्याणी वरदानी, बोलो जय जय बाबा श्याम, कल्याणी वरदानी, बोलो जय जय बाबा श्याम।
माता जी से आज्ञा लेकर, चले घोड़े के पीठ बैठकर, बालक वीर धीर बलशाली, चला है तीन बाण का धारी, पहुंचा जब वह कुरुक्षेत्र में,
उत्सुकता थी भरी नेत्र में, पता चला जब गिरधारी को, श्री भगवान चक्र धारी को, लगने लगे थे भगवन चिंतित, थे उसकी शक्ति से परिचित, बालक नहीं है ये साधारण, बन गया था चिंता कारण, कोई तंत्र सोचना होगा, इसको यही रोकना होगा, ब्रह्मण भेष बना लेते हैं, श्री कृष्ण भगवान, कल्याणी वरदानी, बोलो जय जय बाबा श्याम, कल्याणी वरदानी, बोलो, जय जय बाबा श्याम। कल्याणी वरदानी, बोलो जय जय बाबा श्याम, कल्याणी वरदानी, बोलो जय जय बाबा श्याम।