श्याम ने सुणा दे, तेरे मन की बातां, देर भले है अंधेर नहीं है, ख़बर सै की लेवे सदा, आता जाता, श्याम ने सुणा दे, तेरे मन की बातां।
नानीबाई को भात, भरयो साँवरो, विष ने अमृत करयो, यो मेरो साँवरो, ऐ की दया की कोई, छोर नहीं हैसै , यो ही तो है सबको, भाग्यविधाता, श्याम ने सुणा दे,
तेरे मन की बातां।
जिंदगी एक बार, मोड़कर देख ले, तार से तार तू, जोड़कर देख ले, मस्ती मिलेगी ऐसी, कल्पना के बाहर, प्रेमियों को कान्हां, गले से लगाता, श्याम ने सुणा दे, तेरे मन की बातां।
श्याम ही अपना तन मन धन है, श्याम बिना नीरस जीवन, रस का स्त्रोत श्याम सुमिरन, करते रहो श्याम चिन्तन।
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धीरे धीरे दूरी घटती रहेगी, महसूस होगा ये पास आता, श्याम ने सुणा दे, तेरे मन की बातां।
जब तक कुछ, आवास ना हो, समझो कुछ भी, मिला नहीं, सेवा में है कमी कहीं, किस को किसी से, गिला नहीं, अनदेखी कान्हां करता, ही रहता, सांवरे को सेवक दुखी, ना सुहाता, श्याम ने सुणा दे,
तेरे मन की बातां।
आमने सामने जब बैठो, फिर तो कोई बात बने, सूर्य शाम जैसे मिलते, अपनी भी मुलाकात बने, आपस में कुछ भी, कहेंगे सुनेंगे, ना जाने कितनी, बीतेंगी रातां, श्याम ने सुणा दे, तेरे मन की बातां।
श्याम ने सुणा दे, तेरे मन की बातां, देर भले है अंधेर नहीं है, ख़बर सै की लेवे सदा, आता जाता, श्याम ने सुणा दे, तेरे मन की बातां।