युगल नाम सो हेत,
जपत नित कुंजबिहारी,
अवलोकत रहे केलि,
सखी सुख के अधिकारी,
गान कला गन्धर्व,
श्याम श्यामा को तोशैं,
उत्तम भोग लगाय,
मोर मरकत को पोशैं,
नृपति द्वार ठाड़े रहे,
दर्शन आशा जास की,
अशुधीर उद्योत करी,
रसिक छाप हरिदास की।
जय जय श्री राधे,
जय जय श्री राधे।
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे,
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे।
राधा रानी की जय हो,
राधा रानी की जय हो।
गौरांगी नीलांबर भूषित,
भूषण ज्योति अगाधे,
जय राधे, जय राधे,
भूषण ज्योति अगाधे,
सहचरी, संगनी श्यामधामनी,
पुजवत मन के साधे,
श्री रसिक बिहारिन,
कृपा निहारीं,
पीतांबर आराधे।
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे,
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे।
एक बार अयोध्या जाओ,
दो बार द्वारिका,
तीन बार जाकर,
त्रिवेणी में नहावोगे,
चार बार चित्रकूट,
नौ बार नासिक में,
बार बार जाके बद्रीनाथ,
घूम आवोगे,
कोट बार काशी,
केदारनाथ रामेश्वर,
गया जगन्नाथ आदि,
चाहे जहां जावोगे,
होंगे प्रत्यक्ष यहां दर्शन,
श्याम श्यामा के,
वृन्दावन सा कहीं,
आनंद नहीं पावोगे।
श्री राधा राधा रटो,
छोड़ जगत की आस,
बृज वृंदावन रहो,
कर वृंदावन वास।
वृंदावन के वृक्ष को,
परम ना जाने कोय,
डाल डाल और पात पात,
पे राधे राधे होय।
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे,
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे।
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
री मन चल वृंदावन चलिये,
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
रे मन चल वृंदावन चलिये।
ओ जीथे गोपी ग्वाल बड़े घूमते,
ओ मेरे मन नू भी चढ़िया चाह,
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
रे मन चल वृंदावन चलिये।
ओ जिथे मस्त मलंग पाये झूमते,
ओ जिथे मस्त मलंग पाये झूमते,
ओ मेरे मन नू भी चढ़िया चाह,
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
रे मन चल वृंदावन चलिये।
ओ जीथे रहते हैं सांवल साह,
ओ जीथे रहते हैं बेपरवाह,
ओ मेरे मन नू भी चढ़िया चाह,
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
रे मन चल वृंदावन चलिये।
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
री मन चल वृंदावन चलिये,
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
रे मन चल वृंदावन चलिये।
जय जय श्री राधे,
जय जय श्री राधे।
जपत नित कुंजबिहारी,
अवलोकत रहे केलि,
सखी सुख के अधिकारी,
गान कला गन्धर्व,
श्याम श्यामा को तोशैं,
उत्तम भोग लगाय,
मोर मरकत को पोशैं,
नृपति द्वार ठाड़े रहे,
दर्शन आशा जास की,
अशुधीर उद्योत करी,
रसिक छाप हरिदास की।
जय जय श्री राधे,
जय जय श्री राधे।
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे,
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे।
राधा रानी की जय हो,
राधा रानी की जय हो।
गौरांगी नीलांबर भूषित,
भूषण ज्योति अगाधे,
जय राधे, जय राधे,
भूषण ज्योति अगाधे,
सहचरी, संगनी श्यामधामनी,
पुजवत मन के साधे,
श्री रसिक बिहारिन,
कृपा निहारीं,
पीतांबर आराधे।
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे,
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे।
एक बार अयोध्या जाओ,
दो बार द्वारिका,
तीन बार जाकर,
त्रिवेणी में नहावोगे,
चार बार चित्रकूट,
नौ बार नासिक में,
बार बार जाके बद्रीनाथ,
घूम आवोगे,
कोट बार काशी,
केदारनाथ रामेश्वर,
गया जगन्नाथ आदि,
चाहे जहां जावोगे,
होंगे प्रत्यक्ष यहां दर्शन,
श्याम श्यामा के,
वृन्दावन सा कहीं,
आनंद नहीं पावोगे।
श्री राधा राधा रटो,
छोड़ जगत की आस,
बृज वृंदावन रहो,
कर वृंदावन वास।
वृंदावन के वृक्ष को,
परम ना जाने कोय,
डाल डाल और पात पात,
पे राधे राधे होय।
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे,
हे करुणामयी कृपामयी,
मेरी दयामयी राधे।
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
री मन चल वृंदावन चलिये,
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
रे मन चल वृंदावन चलिये।
ओ जीथे गोपी ग्वाल बड़े घूमते,
ओ मेरे मन नू भी चढ़िया चाह,
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
रे मन चल वृंदावन चलिये।
ओ जिथे मस्त मलंग पाये झूमते,
ओ जिथे मस्त मलंग पाये झूमते,
ओ मेरे मन नू भी चढ़िया चाह,
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
रे मन चल वृंदावन चलिये।
ओ जीथे रहते हैं सांवल साह,
ओ जीथे रहते हैं बेपरवाह,
ओ मेरे मन नू भी चढ़िया चाह,
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
रे मन चल वृंदावन चलिये।
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
री मन चल वृंदावन चलिये,
ओ मन चल वृंदावन चलिये,
रे मन चल वृंदावन चलिये।
जय जय श्री राधे,
जय जय श्री राधे।
भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)
भजन श्रेणी : खाटू श्याम जी भजन (Khatu Shyam Ji Bhajan)
करुणामयी कृपामयी मेरी दयामयी राधे | World Famous Radha Krishna Bhajan | दिल्ली | @VrajBhav
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