प्रेमी अपनी अर्जी, प्रभु कैसे लगायेंगे, जब द्वार पे जाकर के, तुझे देख ना पायेंगे, प्रेमी अपनी अर्जी, प्रभु कैसे लगायेंगे, जब द्वार पे जाकर के, तुझे देख ना पायेंगे।
तेरी आदत मेरे श्याम, तूने खुद ही लगाई है, ये प्रेम बढाकर के, तुम ने क्यों दूरी बढ़ाई है, तेरे दर्शन बिन हे श्याम, हम जी नही पायेंगे, जब द्वार पे जाकर के, तुझे देख ना पायेंगे, प्रेमी अपनी अर्जी, प्रभु कैसे लगायेंगे।
तेरी चौखट पे बाबा, जब कदम बढ़ाते है, देख के तुझ को मनमोहन, सब कुछ पा जाते है, तेरी करुणा का अमृत, बोलो कैसे पायेंगे, जब द्वार पे जाकर के, तुझे देख ना पायेंगे, प्रेमी अपनी अर्जी, प्रभु कैसे लगायेंगे।
बैठ के तुम मंदिर में, प्यारे रह नहीं पावोगे, अपने द्वार के पट जब, खुद ही बंद करावोगे, पंकज तेरी खातिर, सब कुछ कर जायेंगे, जब द्वार पे जाकर के, तुझे देख ना पायेंगे, प्रेमी अपनी अर्जी, प्रभु कैसे लगायेंगे।
प्रेमी अपनी अर्जी, प्रभु कैसे लगायेंगे, जब द्वार पे जाकर के, तुझे देख ना पायेंगे, प्रेमी अपनी अर्जी, प्रभु कैसे लगायेंगे, जब द्वार पे जाकर के, तुझे देख ना पायेंगे।