कुकड़ कू बोल रहा मुर्गा

कुकड़ कू बोल रहा मुर्गा

कुकड़ कू, कुकड़ कू,
बोल रहा मुर्गा।

जीवन तपती धूप है,
तू शीतल जल धार,
थपकी, लोरी में छुपा है,
माँ का सारा प्यार।।

कुकड़ कू, कुकड़ कू,
बोल रहा मुर्गा,
हो गयो सबेरा,
अब जाग माई दुर्गा।।

मुर्गा की बांग सुन,
उठ गई चिडैया,
चहचहा के हमसे,
ओ कह रही चिड़ैया,
हम तो उठ गए हैं,
तुम भी उठो माई दुर्गा,
हो गयो सबेरा,
अब जाग माई दुर्गा।।

ब्रह्म मुहूर्त की,
शुभ घड़ी है प्यारी,
पूजा की थाल लिए,
आया है पुजारी,
ब्रह्म घड़ी चूके ना,
सुनो माई दुर्गा,
हो गयो सबेरा,
अब जाग माई दुर्गा।।

जल धार में हम तो,
कब से हैं ठाड़े,
भोर हो गई, पंडा,
खोल दे किवाड़े,
दास सजन जगाता है,
सुनो माई दुर्गा,
हो गयो सबेरा,
अब जाग माई दुर्गा।।

आरती करे तोरी,
हम यहां सकारे,
ढोल, शंख लेके हम,
आए तेरे द्वारे,
शंख ध्वनि सुनके,
अब जाग माई दुर्गा,
हो गयो सबेरा,
अब जाग माई दुर्गा।।

कुकड़ कू, कुकड़ कू,
बोल रहा मुर्गा,
हो गयो सबेरा,
अब जाग माई दुर्गा।।


Kukdu Ku Kukdu Ku // Devotional song
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