बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन भजन लिरिक्स Bole Arjun Se Mohan Lyrics, Krishna Bhajan by Guru Bhajan Mandali
बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन,भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूं,
सीधी मुक्ति की राहें चलाई मैंने,
वो टेढ़ी राहों पे जाये तो मैं क्या करूं,
बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन,
भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूं।
सारी सृष्टि रची संग में माया रची,
कर्म करने को बुद्धि और शक्ति रची,
मोह ममता में फंसकर तड़पता रहा,
फिर मुझे भूल जाये तो मैं क्या करूं,
बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन,
भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूं।
कर्म करना मनुष्यों का कर्तव्य है,
उसमें तेरी सफलता मेरे हाथ है,
कामयाबी मिले होवे कृपा मेरी,
वो दिल में अभिमान लाये तो मैं क्या करूं,
बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन,
भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूं।
राम का नाम दुनिया में अनमोल है,
न जपे तो मनुष्य की बड़ी भूल है,
पाप करते सारी जिंदगी ढल गयी,
सीधे आंसू बहाये तो मैं क्या करूं,
बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन,
भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूं।
अर्जुन वेदों पुराणों में लिखा यही,
हरना दुखियों के दुखड़े ये भक्ति मेरी,
रात दिन वेद गीता को पढ़ता रहा,
फिर अमल में न लाये तो मैं क्या करूं,
बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन,
भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूं।
कर्म अच्छे करोगे मुझे पाओगे,
कुकर्मी बनोगे तो पछताओगे,
ज्ञान मोक्ष का अर्जुन सुनाया मैंने,
कोई माने न माने तो मैं क्या करूं,
बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन,
भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूं।
बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन,
भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूं,
सीधी मुक्ति की राहें चलाई मैंने,
वो टेढ़ी राहों पे जाये तो मैं क्या करूं,
बोले अर्जुन से एक रोज मोहन मदन,
भक्त संकट में आये तो मैं क्या करूं।