चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये,
भेज दी मैया ने गाड़ी,
कटरा जाने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
ठान ली कुछ कर गुजरने की,
मां को मनाने के लिये,
बांध ली मैंने भी गठरी,
वैष्णो जाने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
सज गई फूलों की माला,
मां को चढ़ाने के लिये,
रख लिये अरमान सारे,
मां को सुनाने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
घुल गई मेहंदी महावर,
हाथ रचाने के लिये,
जयपुरी भेजी है चुनरी,
गोटा लगाने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
कर रहे चिंतन मन में,
रात ठिकाने के लिये,
भेज दिया मां ने बजरंगी,
रस्ता बताने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
बनवा लाये है छत्र चांदी का,
मां को चढ़ाने के लिये,
हम तो चल पड़े हैं मां को,
दुखड़ा सुनाने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
मां को मनाने के लिये,
भेज दी मैया ने गाड़ी,
कटरा जाने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
ठान ली कुछ कर गुजरने की,
मां को मनाने के लिये,
बांध ली मैंने भी गठरी,
वैष्णो जाने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
सज गई फूलों की माला,
मां को चढ़ाने के लिये,
रख लिये अरमान सारे,
मां को सुनाने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
घुल गई मेहंदी महावर,
हाथ रचाने के लिये,
जयपुरी भेजी है चुनरी,
गोटा लगाने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
कर रहे चिंतन मन में,
रात ठिकाने के लिये,
भेज दिया मां ने बजरंगी,
रस्ता बताने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
बनवा लाये है छत्र चांदी का,
मां को चढ़ाने के लिये,
हम तो चल पड़े हैं मां को,
दुखड़ा सुनाने के लिये,
चल पड़ी भक्तों की टोली,
मां को मनाने के लिये।
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