चरण कमल पर माता तेरे,
प्राणों का संगीत निछावर,
अनगिन गुण सम्पन्न सुतों की,
जनम जनम की प्रीति निछावर।
बलिहारी माँ पंचतत्व की,
देह तुम्हीं से जो पायी है,
बलिहारी है हृदय भावना,
संस्कृति ने जो सरसाई है,
सकल सुमति पावन श्रद्घा का,
अमृतमय नवनीत निछावर,
जनम जनम की प्रीति निछावर,
चरण कमल पर माता तेरे,
प्राणों का संगीत निछावर।
वैभव गौरव और दिव्यता देख,
तुम्हारा स्वर्ण अचंभित,
वसुन्धरा की सुरभि वाटिका,
तेरे कारण बनी सुगंधित,
शक्ति बुध्दि और क्षमता से झंकृत,
जीवन के सब गीत निछावर,
जनम जनम की प्रीति निछावर,
चरण कमल पर माता तेरे,
प्राणों का संगीत निछावर।
चरण कमल पर माता तेरे,
प्राणों का संगीत निछावर,
अनगिन गुण सम्पन्न सुतों की,
जनम जनम की प्रीति निछावर।
प्राणों का संगीत निछावर,
अनगिन गुण सम्पन्न सुतों की,
जनम जनम की प्रीति निछावर।
बलिहारी माँ पंचतत्व की,
देह तुम्हीं से जो पायी है,
बलिहारी है हृदय भावना,
संस्कृति ने जो सरसाई है,
सकल सुमति पावन श्रद्घा का,
अमृतमय नवनीत निछावर,
जनम जनम की प्रीति निछावर,
चरण कमल पर माता तेरे,
प्राणों का संगीत निछावर।
वैभव गौरव और दिव्यता देख,
तुम्हारा स्वर्ण अचंभित,
वसुन्धरा की सुरभि वाटिका,
तेरे कारण बनी सुगंधित,
शक्ति बुध्दि और क्षमता से झंकृत,
जीवन के सब गीत निछावर,
जनम जनम की प्रीति निछावर,
चरण कमल पर माता तेरे,
प्राणों का संगीत निछावर।
चरण कमल पर माता तेरे,
प्राणों का संगीत निछावर,
अनगिन गुण सम्पन्न सुतों की,
जनम जनम की प्रीति निछावर।