देवता तुम राष्ट्र के क्या भेंट चरणों में चढाऊं
देवता तुम राष्ट्र के,
क्या भेंट चरणों में चढाऊं,
हम अभी तक सो रहे थे,
आत्म गौरव खो रहे थे,
बन किरण तुमने जगाया,
क्या सुमन सा खिल न जाऊं।
आत्मबल तुमने जगाया,
प्राण का कल्मष भगाया,
ज्योतिमय किस ज्योति से मैं,
आरती अपनी सजाऊं।
पा तुम्हारे ही इशारे,
बढ रहे हैं पग हमारे,
दो हमें बल युग चरण में,
चरण द्वय अपने बढाऊं।
नयन मन जीवन हमारे,
हो चुके कब के तुम्हारे,
तन समर्पित मन समर्पित मैं,
कहो क्या भेंट लाऊं।
मातृ मन्दिर आज जगमग,
जागरण का पर्व पग पग,
वन्दना के गीत गाओ मैं,
उसी में स्वर मिलाऊं।
ले चलो जयमाल तुम जब,
गूँथ लो उसमें मुझे तब,
माँ चरण में शरण पाकर,
आमरण मंगल मनाऊं।
देवता तुम राष्ट्र के क्या भेंट चरणों में चढाऊं
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