(मुखड़ा) चंद्रघंटा माँ से अर्जी मेरी, मैं दास बनूँ तेरा, अब जैसे मर्जी तेरी, मैं दास बनूँ तेरा, अब जैसे मर्जी तेरी।।
(अंतरा) दस हाथ सुशोभित हैं, दस भुजाएँ सुशोभित हैं, सोने सा रूप तेरा, जिस पर जग मोहित है, मैं दास बनूँ तेरा,
अब जैसे मर्जी तेरी।।
तू अति बलशाली है, माँ अति बलशाली है, दुष्टों का दमन करती, तेरी शान निराली है, मैं दास बनूँ तेरा, अब जैसे मर्जी तेरी।।
जादू या अजूबा है, चंद्रघंटा संवारे दुनिया, जिसने माँ को पूजा है, मैं दास बनूँ तेरा,
Mata Rani Bhajan lyrics in hindi
अब जैसे मर्जी तेरी।।
तलवार, कमंडल माँ, घंटे की प्रबल ध्वनि से, गूंजे भूमंडल माँ, मैं दास बनूँ तेरा, अब जैसे मर्जी तेरी।।
भोग दूध, शहद भाता, बस पूजन अर्चन से, दुःख निकट नहीं आता, मैं दास बनूँ तेरा, अब जैसे मर्जी तेरी।।
तेरी पूजा खुशहाली है, हे मात चंद्रघंटा, तेरी शान निराली है, मैं दास बनूँ तेरा, अब जैसे मर्जी तेरी।।
दुःख अनुज का भी हरती, शरणागत की रक्षा, देवेन्द्र सदा करती, मैं दास बनूँ तेरा, अब जैसे मर्जी तेरी।।
(पुनरावृत्ति) चंद्रघंटा माँ से अर्जी मेरी, मैं दास बनूँ तेरा, अब जैसे मर्जी तेरी, मैं दास बनूँ तेरा, अब जैसे मर्जी तेरी।।
नवरात्रि के तृतीय दिवस पर देवी चन्द्रघंटा का भजन ~ By Pujya Shri Devendra Maharaj Ji
नवरात्रि के पावन पर्व के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की जाती है। इस अवसर पर पूज्य श्री देवेंद्र महाराज जी (श्री धाम अयोध्या जी) द्वारा प्रस्तुत भजन "जय जय चंद्रघंटा माँ" भक्तों के हृदय में माँ के प्रति अगाध श्रद्धा जगाता है।
यह मंगलमय भजन माँ चंद्रघंटा की दिव्य महिमा को व्यक्त करता है, जो अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करती हैं और भक्तों के समस्त कष्टों को हरने वाली हैं। पूज्य श्री देवेंद्र महाराज जी की भावपूर्ण आवाज़ में यह भजन माँ के चरणों में समर्पित एक सुंदर स्तुति है, जो नवरात्रि के पुनीत अवसर पर भक्ति की गहराई को और बढ़ा देता है।