गंगा सागर में जाकर भक्त तू डुबकी लगा ले, मकर संक्रांति यूँ मनाके भक्त थोड़ा सा पुण्य कमाले दान धरम को करके किस्मत को अपनी जगा ले मकर संक्रांति यूँ मनाके भक्त थोड़ा सा पुण्य कमाले .....।। गोमुख से गंगा चलके आए यहां पर कहलाता पावन संगम ये गंगा सागर
लाखों श्रद्धालु आकर डुबकी लगाते करके स्नान शुध्द तन मन कर जाते दान धरम को करके ,किस्मत को अपनी जगा ले मकर संक्रांति यूँ मनाके भक्त थोड़ा सा पुण्य कमाले ...।। मकर संक्रांति पर्व लोग मनाएं आज के दिन खिचड़ी तिल गुड़ खाए
New Trending Bhajan Lyrics in Hindi (Viral Bhajan with Lyrics)
कही मिठाई दही चूड़ा भी खाए अपने तरीके से सब रीत निभाएं छोड़ कर चिंता फिकर तू भी त्योहार मना ले मकर संक्रांति यूँ मनाके भक्त थोड़ा सा पुण्य कमाले .....।। रखना कभी ना माता गंगा से दूरी कामना तेरी मन की हो जाए पूरी
उठकर के प्रातः जो भी गंगा नहाए रहे ना कोई उसकी इच्छा अधूरी भरके अंजुली में जल ,सूरज को अर्ध्य चढ़ा दे मकर संक्रांति यूँ मनाके भक्त थोड़ा सा पुण्य कमाले .....।। दान धरम को करके किस्मत को अपनी जगा ले मकर संक्रांति यूँ मनाके भक्त थोड़ा सा पुण्य कमाले ....