भावों की चाशनी में बनाके मिठाई

भावों की चाशनी में बनाके मिठाई

भावों की चाशनी में बनाके मिठाई,
प्रीत का मेवा सजाके जिमाऊँ कन्हाई।।
भावों की चाशनी में बनाके मिठाई।।

अंतरा 1 :
हर्ष अपार तुझको जिमाऊँ खुशी से,
दूध-दही, माखन और मिश्री से।
मीठी-मीठी छाछ बनाके,
पिलाऊँ कन्हाई।।
भावों की चाशनी में बनाके मिठाई।।

अंतरा 2 :
गोदी के पीढ़े पे ममता बिछाके,
आंचल के पंखे को हिलाके-डुलाके।
लोरी सुना-सुना मैं,
करूँ सेवकाई।।
भावों की चाशनी में बनाके मिठाई।।

अंतरा 3 :
करमा की मनुहार, सुदामा के चावल,
मीरा की भक्ति, नरसी की प्रीत सरल।
अपना ले मुझको तोहे,
सौगंध कन्हाई।।
भावों की चाशनी में बनाके मिठाई।।

अंतरा 4 :
रूठ न जाना कान्हा तू मुझ गरीब से,
तेरा साथ मिला मुझको बड़े नसीब से।
प्रेम-सगाई अपनी,
टूटे ना कन्हाई।।
भावों की चाशनी में बनाके मिठाई।।

मुखड़ा (पुनरावृत्ति):
प्रीत का मेवा सजाके जिमाऊँ कन्हाई,
भावों की चाशनी में बनाके मिठाई।।



भावों की चाशनी में बनाके मिठाई। Sung & written by Ranjana Gunjan Bhartia.. Music by Sakal Deo Sahni.

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Sung and written by Ranjana Gunjan Bhartia 
Music by Sakal Deo Sahni
गायिका एवं रचना रंजना गुंजन भर्तीया
संगीत सकल देव साहनी
 
Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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