कृपा की ना होती जो आदत तुम्हारी

कृपा की ना होती जो आदत तुम्हारी

 
कृपा की ना होती जो आदत तुम्हारी लिरिक्स Kripa Ki Na Hoti Jo Aadat Lyrics

कृपा की ना होती जो,
आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती,
अदालत तुम्हारी,
कृपा की ना होती जो,
आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती,
अदालत तुम्हारी।

जो दीनों के दिल में,
जगह तुम न पाते,
तो किस दिल में होती,
हिफाजत तुम्हारी,
कृपा की ना होती जो,
आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती,
अदालत तुम्हारी।

ना मुल्जिम ही होते,
ना तुम होते हाकिम,
ना घर घर में होती,
इबादत तुम्हारी,
कृपा की ना होती जो,
आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती,
अदालत तुम्हारी।

गरीबों की दुनिया है,
आबाद तुमसे,
गरीबों से है,
बादशाहत तुम्हारी,
कृपा की ना होती जो,
आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती,
अदालत तुम्हारी।

तुम्हारी उल्फत के,
द्रग हैं ये,
तुम्हें सौंपते है,
अमानत तुम्हारी,
कृपा की ना होती जो,
आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती,
अदालत तुम्हारी।

कृपा की ना होती जो,
आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती,
अदालत तुम्हारी,
कृपा की ना होती जो,
आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती,
अदालत तुम्हारी।

Kripa Ki Na Hoti Jo Aadat Tumhari || कृपा की न होती जो आदत तुम्हारी || Vinod Agarwal Best Bhajan

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