मैं तेरी पतंग दातेया तेरे हथ डोर भजन
मैं तेरी पतंग दातेया तेरे हथ डोर भजन
मैं तेरी पतंग दातेया तेरे हथ डोर,हथो छड़ ना देवी लुटे ना कोई होर,
मैं तेरी पतंग दातेया तेरे हथ डोर,
हथो छड़ ना देवी लुटे ना कोई होर।
तेरी दया नाल उड़दी फिरदी,
ज्यों बद्दल असमानी,
तेरे नाम विच मैं ता दातेया,
हो गई प्रेम दिवानी,
तू है मेरा चन्न दातेया मैं तेरी चकोर,
हथो छड़ ना देवी लुटे ना कोई होर,
मैं तेरी पतंग दातेया तेरे हथ डोर,
हथो छड़ ना देवी लुटे ना कोई होर।
तेरे दर ते झुकदे वेखे राजे रंक फकीर,
मेरी वी है गल्ल दातेया तेरे नाल अखीर,
इस दुनिया विच्च तेरे,
बाजो मेरा ना कोई होर,
हथो छड़ ना देवी लुटे ना कोई होर,
मैं तेरी पतंग दातेया तेरे हथ डोर,
हथो छड़ ना देवी लुटे ना कोई होर।
अस्सी चार चौरासी वाली,
योनी कोलो बचावीं,
अपने चरणां दे विच्च,
दाता सुरति मेरी लगावीं,
भरे तेरे भण्डारे दातेया,
खाली ना तू मोड़
हथो छड़ ना देवी लुटे ना कोई होर,
मैं तेरी पतंग दातेया तेरे हथ डोर,
हथो छड़ ना देवी लुटे ना कोई होर,
मैं तेरी पतंग दातेया तेरे हथ डोर,
हथो छड़ ना देवी लुटे ना कोई होर।
नानक वाली जोत है,
तेरी विष्णु वाला डेरा,
वेखन वाले केंहदे दातेया,
तू हैं सतगुरु मेरातू हैं,
पूरण संत मिलेया,
बाकी लख्ख करोड़,
हथो छड़ ना देवी,
लुटे ना कोई होर,
मैं तेरी पतंग दातेया तेरे हथ डोर,
हथो छड़ ना देवी लुटे ना कोई होर।
Main teri patang daateya tere hath dor | SSDN Bhajan | Anandpur Bhajan |Bhajan Bandagi |Suman Sharma
भक्त सतगुरु की पतंग है, जिसकी डोर उनके हाथों में है। वह पुकारता है कि दाता, यह डोर कभी न छोड़ना, नहीं तो मैं संसार में लुट जाऊँगा। उनकी कृपा की हवा में वह उड़ता है, जैसे बादल आकाश में विचरते हैं। सतगुरु के नाम में डूबकर भक्त प्रेम का दीवाना हो गया है, जो उन्हें अपना चाँद मानता है और स्वयं को उनकी चकोर।
सतगुरु का दर ऐसा है, जहाँ राजा, रंक, और फकीर सब झुकते हैं। भक्त भी अपनी अर्जी लेकर उनके सामने खड़ा है, क्योंकि इस दुनिया में उसके लिए सतगुरु के सिवा कोई नहीं। वह माँगता है कि उसे चौरासी के चक्कर से बचाकर, गुरु के चरणों में उसकी सुरति लगा दी जाए। सतगुरु के भंडार कभी खाली नहीं, उनकी कृपा अनंत है।
नानक की ज्योति, विष्णु का डेरा—सतगुरु का रूप पूर्ण संत का है। भक्त उन्हें देखकर कृतार्थ होता है, क्योंकि लाखों-करोड़ों में ऐसा गुरु दुर्लभ है। वह बस यही प्रार्थना करता है कि सतगुरु की डोर सदा थमी रहे, ताकि वह उनकी शरण में उड़ता रहे और संसार के झंझटों से बचा रहे।
सतगुरु का दर ऐसा है, जहाँ राजा, रंक, और फकीर सब झुकते हैं। भक्त भी अपनी अर्जी लेकर उनके सामने खड़ा है, क्योंकि इस दुनिया में उसके लिए सतगुरु के सिवा कोई नहीं। वह माँगता है कि उसे चौरासी के चक्कर से बचाकर, गुरु के चरणों में उसकी सुरति लगा दी जाए। सतगुरु के भंडार कभी खाली नहीं, उनकी कृपा अनंत है।
नानक की ज्योति, विष्णु का डेरा—सतगुरु का रूप पूर्ण संत का है। भक्त उन्हें देखकर कृतार्थ होता है, क्योंकि लाखों-करोड़ों में ऐसा गुरु दुर्लभ है। वह बस यही प्रार्थना करता है कि सतगुरु की डोर सदा थमी रहे, ताकि वह उनकी शरण में उड़ता रहे और संसार के झंझटों से बचा रहे।
Singer: Suman Sharma
On Dholak: Komal Sharma
On Dholak: Komal Sharma
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